नई दिल्लीः मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम और राम मंदिर आंदोलनकर्ताओं में से एक उमा भारती ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो जाने के बाद खुलकर अपनी दिल की बात रखी हैं। वो गुरुवार यानी 25 जनवरी को झांसी पहुंची। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर को लेकर अपनी यादों को ताजा कीं। उन्होंने खुद को […]
नई दिल्लीः मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम और राम मंदिर आंदोलनकर्ताओं में से एक उमा भारती ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो जाने के बाद खुलकर अपनी दिल की बात रखी हैं। वो गुरुवार यानी 25 जनवरी को झांसी पहुंची। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर को लेकर अपनी यादों को ताजा कीं। उन्होंने खुद को खुशनसीब बताते हुए कहा कि मंदिर आंदोलन का संघर्ष महज कुछ साल का नहीं बल्कि पूरे 500 साल का है। उन्होंने कारसेवा के दौरान जेल का अनुभव भी साझा किया हैं।
उमा भारती ने मंदिर को बचाने के संघर्ष में कारसेवा के दौरान जेल का अनुभव भी शेयर किया। पूर्व सीएम ने कहा कि जब वो कारसेवा के दौरान गिरफ्तार की जाती थीं तो कोई तकलीफ नहीं होती थी। जेल में चक्की पीसना पड़ता था। पूर्व सीएम ने कहा कि जेल में बहुत आराम से रहते थे। हमलोगों को इसी बात का दुख है कि जिंदा रह गए। जेल में खाना-पानी त्याग देती थी तब जेलकर्मी भी खाना-पीना त्याग देते थे।
उन्होंने कहा कि मंदिर आंदोलन के बाद मंदिर निर्माण होने की खुशी के साथ दुख इस बात का भी है कि जब हमारे हजारों कार सेवक शहीद हो रहे थे तो मैं शहीद क्यों नहीं हुई। उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की प्रसारण पर जिन्होंने रोक लगाई वो पापी है। उमा भारती ने कहा कि रामलला मंदिर में विराज गए है। ऐसे में जो आनंद उन्हें मिला वो कोई और महसूस नहीं कर सकता। जिस दिन मंदिर तोड़ा गया होगा, न जाने उस दिन कितनी जाने गई होंगी।
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