नई दिल्लीः अयोध्या में 22 जनवरी के लिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए हजारों रामभक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं। देश के विभिन्न वर्गों से आने वाले लोगों को प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण दिया गया था। जिसमें से हजारों मेहमानों ने इस न्योते को स्वीकार कर लिया लेकिन कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने न्योते को ठुकरा दिया।
न्योता ठुकराने का सिलसिला सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ने शुरू किया था। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने सबसे पहले 10 जनवरी 2024 को एक बयान जारी करते हुए कहा कि 22 जनवरी को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी अयोध्या नहीं जाएंगे। हालांकि 15 जनवरी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कई नेता अयोध्या गए थे।
कांग्रेस के बाद टीएमसी की तरफ से भी स्पष्ट कर दिया गया कि 22 जनवरी को उनकी तरफ से कोई अयोध्या नहीं जाएगा। इसके बाद मीडिया ने जब राजद प्रमुख लालू यादव से 22 जनवरी को अयोध्या जाने का सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होने नहीं जाएंगे। वहीं इसके बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को न्योता मिलने या न मिलने को भी खूब बवाल हुआ।
एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान उन्होंने पत्रकार से ही कह दिया कि आप कुरियर के द्वारा भेजे गए निमंत्रण पत्र की रसीद दिखा दीजिये। हालांकि इसके बाद उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें न्योता मिल गया और वह अयोधय जाएंगे, लेकिन 22 जनवरी को नहीं। उन्होंने ने भी एक बयान जारी करते हुए कहा कि वह 22 जनवरी के बाद पूरे परिवार के साथ रामलला के दर्शन करने जाएंगे।
वहीं इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भी बयान आया था कि वह भी 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। हालांकि 22 जनवरी के बाद वह अयोध्या जाएंगे और रामलाल के दर्शन लाभ लेंगे। वहीं सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक बना दिया गया है और इसलिए वह इसमें नहीं जाएंगे।
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