नई दिल्लीः अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वह मौका था, जिसका इंतजार रामभक्तों को सदियों से था। लंबे समय तक चले संघर्ष और इंतज़ार के बाद सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यजमानी में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह प्रतिमा बनाने का कार्य […]
नई दिल्लीः अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वह मौका था, जिसका इंतजार रामभक्तों को सदियों से था। लंबे समय तक चले संघर्ष और इंतज़ार के बाद सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यजमानी में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह प्रतिमा बनाने का कार्य तीन मूर्तिकारों को सौंपा गया था। जिनमें से दो मूर्तियों को अंतिम रूप से चुना गया था और अंततः मैसूर के अरुण योगीराज की बनाई प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं रामलला की वह प्रतिमा, जो चुनी नहीं गई। उस मूर्ति का हुआ क्या ?
बता दें कि राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के रहने वाले सत्यनारायण पाण्डे कई पीढ़ियों से मूर्ति बनाने का काम करते आ रहे हैं और उन्होंने यह प्रतिमा सफेद मकराना संगमरमर से बनाई है। यह प्रतिमा फिलहाल मंदिर ट्रस्ट के पास ही है और उन्हीं के पास रहेगी।
वर्षों से चले आ रहे विवाद के बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर के पक्ष में निर्णय सुनाया था और मंदिर निर्माण का आदेश जारी किया था। उसके बाद 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही मंदिर का शिलान्यास किया था और अब 22 जनवरी, 2024 को राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर 23 जनवरी से प्रतिमा की कपाट आम जनता के लिए खोल दिए गए हैं।
सरकार की योजना अयोध्या को वैश्विक आध्यात्मिक टूरिस्ट हॉटस्पॉट बना देने की है, जिसके लिए हज़ारों करोड़ रुपये खर्च कर शहर का बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है और दर्जनों की तादाद में होटल आदि जैसी सुविधाएं अयोध्या में बनाई जा रही हैं। कुछ ही सालों में अयोध्या देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक टूरिस्ट हॉटस्पॉट बन सकता है।
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