Rakhi Special: श्री राम से लेकर महादेव और कृष्ण तक, कौन हैं इन देवताओं की बहने

नई दिल्ली: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधेंगी। क्या आप जानते हैं देवताओं की बहनें कौन हैं। भगवान राम से लेकर कान्हा तक सभी दिव्य अवतारों और देवताओं की बहनें कौन थीं और उनके […]

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Rakhi Special: श्री राम से लेकर महादेव और कृष्ण तक, कौन हैं इन देवताओं की बहने

Neha Singh

  • August 17, 2024 12:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधेंगी। क्या आप जानते हैं देवताओं की बहनें कौन हैं। भगवान राम से लेकर कान्हा तक सभी दिव्य अवतारों और देवताओं की बहनें कौन थीं और उनके क्या नाम थे।

ये हैं देवताओं की बहनें

  • भगवान गणेश – रक्षाबंधन पर पहली राखी भगवान गणेश को चढ़ाई जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की बहन का नाम अशोक सुंदरी है। इसके अलावा मां ज्योति और मां मनसा भी गणपति की बहन हैं।
  • महादेव – सावन के महीने में जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है, इसकी पूर्णिमा पर भगवान शिव को राखी चढ़ाने की मान्यता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव की बहन का नाम असावरी देवी है।
  • भगवान विष्णु – हिंदू धर्म का मान्यताओं के अनुसार दक्षिण भारत में पूजी जाने वाली मीनाक्षी देवी को भगवान विष्णु की बहन माना जाता है। मीनाक्षी माता को माता पार्वती का अवतार भी माना जाता है।
  • श्री कृष्ण – भगवान श्री कृष्ण की बहन का नाम सुभद्रा था, हालांकि उनके अलावा उनकी कई और बहनें भी थीं। मां विंध्यवासिनी, योगमाया, एकानंगा भी भगवान श्री कृष्ण की बहनें थीं। कान्हा भी द्रौपदी को अपनी बहन मानते थे।
  • श्री राम – भगवान राम की बहन का नाम शांता था, जिनके मंत्र का जाप करने से व्यक्ति सभी दुखों से मुक्त हो जाता है, जो उनसे उम्र में बड़ी थीं।
  • सूर्य देव – भगवान सूर्य की बहन का नाम माता षष्ठी है, जिनकी यूपी और बिहार में हर साल छठ पर्व के दौरान विशेष पूजा की जाती है। षष्ठी देवी या कहें छठी मैया को ब्रह्मा की पुत्री भी कहा जाता है।

धन की देवी मां लक्ष्मी को राजा बलि की बहन माना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस पवित्र परंपरा की शुरुआत तब हुई जब मां लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी।

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