नई दिल्ली. मंगलवार को लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा से सवर्ण आरक्षण का एतिहासिक बिल पास हो गया है. बिल पर करीब आठ घंटे तक बहस चली और फिर आखिर में करीब 10:30 के आसपास वोटिंग हुई जिसमें 172 सदस्यों वाली सदन में 165 सदस्यों ने बिल को पास करने के पक्ष में वोट दिया जबकि बिल के खिलाफ 7 वोट पड़े. इससे पहले बिल संशोधन पर वोटिंग हुई लेकिन उसमें भी संशोधन के खिलाफ वोट पड़े. बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने को लेकर भी वोटिंग हुई लेकिन 155 सदस्यों ने बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने के खिलाफ वोट दिए जबकि सिर्फ 18 सदस्यों ने हां में वोट किया. दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद अब ये बिल राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा और फिर ये कानूनी रूप ले लेगा.
इस बिल के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा. इससे पहले मंगलवार को बिल लोकसभा में पास हो हुआ. बीजेपी विरोधियों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी बिल का समर्थन किया लेकिन टाइमिंग को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल भी उठाए. विपक्ष ने सवाल उठाया कि आखिरी सत्र के आखिरी दिन सरकार ने ये बिल क्यों पेश किया?
राज्यसभा में संख्याबल देखा जाए तो एनडीए के पास राज्यसभा में 90 सदस्य हैं. इनमें से 73 भाजपा के, 7 निर्दलीय और मनोनीत, 3 शिवसेना के, 3 अकाली दल के, 3 पूर्वोत्तर पार्टियों के और एक आरपीआई के सांसद हैं. वहीं विपक्ष के पास 145 राज्यसभा सदस्य हैं. इनमें से कांग्रेस के 50, टीएमसी के 13, सपा के 13, एआईएडीएमके के 13, बीजेडी के 9, टीडीपी के 6, आरजेडी के 5, सीपीएम के 5, डीएमके के 4, बसपा के 4, एनसीपी के 4, आप के 3, सीपीआई के 2, जेडीएस के एक, केरल कांग्रेस (मनी) के एक, आईएनएलडी के एक, आईयूएमएल के एक, निर्दलीय के एक और नामित एक सदस्य शामिल हैं.
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