Rajendra Prasad Birth Anniversary: जानिए, आजादी की लड़ाई लड़कर कैसे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बने भारत के पहले राष्ट्रपति

Rajendra Prasad Birth Anniversary: 3 दिसंबर 1884 को जन्में राजेंद्र प्रसाद की आज 134वीं सालगिरह है. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष और आजादी की लड़ाई का एक अहम हिस्सा रहे. महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर आम जनता के हित में काम करने वाले राजेंद्र प्रसाद के बारे में जानें कुछ बातें.

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Rajendra Prasad Birth Anniversary: जानिए, आजादी की लड़ाई लड़कर कैसे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बने भारत के पहले राष्ट्रपति

Aanchal Pandey

  • December 3, 2018 9:42 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को जीरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में (अब बिहार में) एक कायस्त परिवार में हुआ था. वो उन प्रमुख नेताओं में से एक थे जिन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका भी निभाई. उनका योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में भी रहा. वो केवल भारत के राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि आजाद भारत में केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. उनकी लोकप्रियता देशभर में थी. उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर बुलाया जाता है.

राजेन्द्र प्रसाद के पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे और उनकी मां कमलेश्वरी देवी धार्मिक महिला थीं. राजेन्द्र प्रसाद ने भी अपनी पढ़ाई उर्दू और फारसी से शुरू की लेकिन बाद में उन्होंने पढ़ाई हिंदी से खत्म की. उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान वकील के रूप में करियर शुरू किया. राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी के समर्पण से प्रभावित हुए और उन्होंने 1921 में कोलकाता विश्वविद्यालय के सीनेटर का पद छोड़ दिया. 1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ में उन्होंने मदद की. 1934 में बिहार में आए भूकंप के समय राजेन्द्र प्रसाद जेल में थे. हालांकि दो साल बाद जेस से छूटते ही उन्होंने भूकंप पीड़ितों के लिए धन जुटाया. सिंध और क्वेटा के भूकंप पीड़ितों की भी उन्होंने मदद की.

1934 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अध्यक्ष बनाया गया. एक बार फिर 1939 में उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया. आजादी के बाद संविधान लागू होने पर उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति बनाया गया. बतौर राष्ट्रपति उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखल देने नहीं दी और स्वतन्त्र रूप से काम किया. भारतीय संविधान के लागू होने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को उनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया था. हालांकि वो भारतीय गणराज्य की स्थापना रस्म के बाद ही अपनी बहन के दाह संस्कार में पहुंचे. उन्होंने 12 सालों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. 1962 में उन्होंने अपने अवकाश की घोषणा की. इसके बाद उन्हें भारत सरकार ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा.

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