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RAJASTHAN ELECTION : राजस्थान के सियासी दंगल में चाचा – भतीजी आमने सामने, रिश्तों पर भारी पड़ी राजनीति

जयपुर : राजनीति में रिश्ते बहुत मायने रखते हैं और कभी-कभी तो बिल्कुल भी मायने नहीं रखते। हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां राजनीति रिश्तों पर हावी हो रही है. शेखावाटी सैन्य बहुल झुंझुनू जिले की खेतड़ी सीट पर भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. इस बार चाचा-भतीजी के बीच कड़ी टक्कर होगी. पहले चाचा-भतीजी दोनों बीजेपी में थे. लेकिन चाचा को टिकट मिल गया और भतीजी खाली हाथ रह गयी.

इस पर भतीजी मनीषा गुर्जर ने अपने पूर्व विधायक पिता दाताराम के साथ मिलकर चाचा इंजीनियर धर्मपाल को राजनीतिक पटखनी देने के लिए आनन-फानन में दल बदल लिया। रविवार सुबह भतीजी ने सीएम गहलोत से मुलाकात की और शाम होते-होते कांग्रेस का टिकट ले लिया. अब चाचा इंजीनियर धर्मपाल बीजेपी के उम्मीदवार हैं और उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस से भतीजी मनीषा गुर्जर सामने आ गई हैं. कांग्रेस की इस राजनीति से स्थानीय कार्यकर्ता हैरान हैं. इसलिए कई कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों ने नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी.

निर्दलीय चुनाव लड़कर बनी थी मनीषा प्रधान

मनीषा गुर्जर अभी खतेड़ी पंचायत समिति की प्रधान हैं. उन्होंने प्रधान का यह पद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर हासिल किया था. मनीषा के पिता दाताराम 2003 में बीजेपी से खेतड़ी के विधायक बने थे. पिता के बाद बेटी ने भी राजनीति की राह पकड़ ली. पिछले पंचायत चुनाव में मनीषा भाजपा से पंचायत समिति सदस्य बनीं और प्रधान पद के लिए दावेदारी की। लेकिन बीजेपी ने मनीषा के बीजेपी नेता चाचा इंजीनियर धर्मपाल की पत्नी पूनम गुर्जर को प्रधान उम्मीदवार बनाया था.

टिकट न मिलने से बदला राजनीति का पाला

इस पर मनीषा गुर्जर ने निर्दलीय मतदान किया. बाद में खेतड़ी के मौजूदा कांग्रेस विधायक डॉ.जितेंद्र सिंह और कांग्रेस पार्षदों की मदद से वह अपनी चाची को हराकर प्रधान बनीं. इसके बाद अब मनीषा ने विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी से टिकट मांगा. उन्होंने बीजेपी की परिवर्तन यात्रा के दौरान कांग्रेस को जमकर कोसा. लेकिन इस बार बीजेपी ने मनीषा के चाचा इंजीनियर धर्मपाल को टिकट दिया. इसके बाद मनीषा ने कांग्रेस से संपर्क किया. रविवार को जयपुर में सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और झुंझुनूं कांग्रेस जिला अध्यक्ष दिनेश सुंडा की मौजूदगी में दोनों पिता-पुत्री कांग्रेस में शामिल हुए.

मनीषा पर कांग्रेस हुई मेहरबान

कांग्रेस की मेहरबानी से खेतड़ी के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं. स्थिति को भांपते हुए स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया. मनीषा को टिकट मिलने की संभावना को देखते हुए कुछ ने तो कल ही पार्टी छोड़ने का ऐलान भी कर दिया. इसके बाद रविवार देर रात जारी कांग्रेस की सातवीं सूची में डॉ. जितेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया और मनीषा को खेतड़ी से पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. अब देखना होगा रिश्तों का सियासी (चाचा-भतीजी) दंगल।

यह भी पढ़ें : Ravi Prakash: सपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए रवि प्रकाश, कहा- अखिलेश की पार्टी में नहीं बचा समाजवाद

Sachin Kumar

मैं सचिन कुमार, इनखबर टीम में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर हूं। मुझे पोलिटिक्ल और स्पोर्टस की खबरें लिखने में काफी रुची है।

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