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Rajan Rao on Education Ranking: निराशाजनक स्थिति में हरियाणा कोई भी शिक्षण संस्थान शीर्ष 100 में नहीं बना पाया स्थान – राजन राव

नई दिल्ली. कांग्रेस के दक्षिण हरियाणा प्रभारी राजन राव (Rajan Rao) ने कहा कि हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार की उदासीनता के चलते राज्य में उच्च शिक्षा निराशाजनक स्तर पर पहुंच गई है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से 9 सितंबर, 2021 को जारी रैंकिंग की सूची में, कोई भी हरियाणा संस्थान […]

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Rajan Rao on Education Ranking
  • September 13, 2021 8:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली. कांग्रेस के दक्षिण हरियाणा प्रभारी राजन राव (Rajan Rao) ने कहा कि हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार की उदासीनता के चलते राज्य में उच्च शिक्षा निराशाजनक स्तर पर पहुंच गई है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से 9 सितंबर, 2021 को जारी रैंकिंग की सूची में, कोई भी हरियाणा संस्थान या विश्वविद्यालय शीर्ष 100 स्थान नहीं बना पाया है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत संस्थानों को 11 अलग-अलग श्रेणियों जैसे, विश्वविद्यालय, कॉलेज, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी, कानून, चिकित्सा, वास्तुकला, दंत चिकित्सा और अनुसंधान के तहत स्थान दिया गया है। इन श्रेणियों में से हरियाणा का कोई भी शैक्षणिक संस्थान कानून, वास्तुकला और अनुसंधान में शीर्ष 100 में नहीं है। यह स्पष्ट रूप से राज्य में भाजपा सरकार द्वारा उच्च शिक्षा पर महत्व की कमी को दर्शाता है।

राजन राव (Rajan Rao) ने कहा कि राज्य सरकार ने न केवल शिक्षा को नजरंदाज किया, बल्कि उसकी उदासीनता के कारण रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय जैसा प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय पिछले साल के मुकाबले 76वें स्थान से फिसलकर इस साल 78वें स्थान पर आ गया। राज्य सरकार मौजूदा विश्वविद्यालयों को मजबूत करने के बजाय नए विश्वविद्यालयों को खोलने की घोषणा कर रही है, यह दर्शाता है कि उन्हें केवल शिक्षा की मात्रा से सरोकार है, शिक्षा की गुणवत्ता से नहीं। राज्य में विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता पर नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य संस्थानों के खराब प्रदर्शन का कारण मुख्य रूप से कारण अपर्याप्त बजट आवंटन, फैकल्टी प्रोफेसर की कमी, विश्वविद्यालयों का बढ़ता राजनीतिकरण आदि हैं।

राजन राव (Rajan Rao) ने कहा कि हरियाणा कई विश्वसनीय निजी विश्वविद्यालयों का केंद्र है। इस लिहाज से यह देश का प्रमुख शैक्षिक केंद्र बन सकता है। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ कर सकता यहां बेहतरीन संस्थान साथापित किए जा सकते हैं, जिससे राज्य में हर बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद मिलती। लेकिन इसकी कमी के कारण यहां के अधिकांश बच्चे उच्च शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों का रुख करने को मजबूर हो रहे हैं।

खट्टर सरकार को राज्य के संस्थानों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने की जरूरत है। यह बहुत ही शर्म की बात है कि पूरे राज्य के केवल एक कॉलेज ने कॉलेजों की शीर्ष 100 सूची में जगह बनाई, यानी हिसार में आईसी कॉलेज ऑफ होम साइंस।
उन्होंने कहा कि शिक्षा जो सामाजिक परिवर्तन की सबसे बड़ी प्रेरक है और गरीबी के दलदल से बाहर निकलने का एक साधन भी है, को उसका उचित महत्व दिया जाना चाहिए। द नाइन इज माइन अभियान जो स्वास्थ्य और शिक्षा में सकल घरेलू उत्पाद का 9% आवंटन करने का आह्वान करता है, अब हरियाणा में उसे एक हकीकत बनाने की जरूरत है। कोविड महामारी ने हमें हरियाणा के स्वास्थ्य ढांचे की निराशाजनक स्थिति दिखाई है और अब इन रैंकिंग ने हरियाणा के उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थिति के बारे में एक कठोर वास्तविकता से रूबरू कराया है।
हरियाणा सरकार को अपने इस दावे पर गर्व है कि हर 15 किलोमीटर पर उच्च शिक्षा के लिए एक संस्थान होगा। लेकिन ईंट-पत्थर की इमारत होने का क्या मतलब है। खट्टर सरकार को जवाब देना चाहिए कि राज्य ने रैंकिंग में इतना खराब प्रदर्शन क्यों किया है। चूंकि ये रैंकिंग केंद्र में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई है, इसलिए राज्य सरकार इसे राजनीति से प्रेरित नहीं कह सकती क्योंकि वे राज्य में कुशासन का ठीकरा विपक्ष के सिर फोड़ने का सरकार के पास कोई बहाना नहीं है।

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