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कर्नाटक में सेक्स रैकेट के खिलाफ आवाज उठाना पड़ा महंगा! विधायकों को उठाकर बाहर फेंक दिया, बीजेपी के 18 विधायक 6 महीने के लिए निलंबित

कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। विधानसभा से 18 बीजेपी के विधायकों को निलंबित कर दिया गया। बीजेपी के इन विधायकों का निलंबन 6 महीने के लिए हुआ है।

karnatak Assembly
  • March 21, 2025 6:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 days ago

बेंगलुरु: कर्नाटक में हनी ट्रैप मामले को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस कथित घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की है और इसे हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराने की अपील की है। शुक्रवार को विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जहां बीजेपी विधायकों ने सदन के वेल में आकर विरोध प्रदर्शन किया और कागज फाड़े।

विधायकों के निलंबन पर विवाद

शुक्रवार को सदन में उस समय बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला, जब 18 बीजेपी विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। यह विधेयक कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल द्वारा पेश किया गया था। विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और इसे सरकार द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाने की कोशिश करार दिया।

क्या है हनी ट्रैप मामला?

कर्नाटक में हनी ट्रैप से जुड़ा यह विवाद तब गहराया जब सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में खुलासा किया कि उन्हें भी हनी ट्रैप का शिकार बनाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस जाल में केवल राज्य के मंत्री ही नहीं, बल्कि करीब 48 अन्य नेता, विधायक और कुछ केंद्रीय नेता भी फंस चुके हैं।

बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने 20 मार्च 2025 को विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और आरोप लगाया कि राज्य में हनी ट्रैप की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसके बाद सहकारिता मंत्री ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिससे कई राजनेता प्रभावित हुए हैं।

मंत्री सतीश जारकीहोली का बड़ा बयान

राज्य के लोक निर्माण विभाग मंत्री सतीश जारकीहोली ने भी इस मामले पर टिप्पणी की और कहा कि एक मंत्री को दो बार हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन दोनों बार यह प्रयास असफल रहा। उन्होंने कहा कि यह कोई नई समस्या नहीं है और पिछले 20 वर्षों से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। जारकीहोली ने सुझाव दिया कि संबंधित मंत्री को पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि इसके पीछे के लोगों का खुलासा हो सके।

सियासी संग्राम जारी

यह मामला अब तूल पकड़ चुका है, और विपक्ष लगातार न्यायिक जांच की मांग कर रहा है। वहीं, सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का राजनीतिक भविष्य क्या होगा और क्या सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाने को तैयार होगी।

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