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रेप के बाद जन्मे बच्चों की परवरिश, जानें क्या हैं नियम और प्रक्रिया

रेप जैसी भयावह घटना के बाद कई बार पीड़िता गर्भवती हो जाती है। कुछ मामलों में गर्भपात की अनुमति नहीं मिल पाती, जिससे पीड़िता को मजबूरी

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रेप के बाद जन्मे बच्चों की परवरिश
  • August 16, 2024 2:39 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: रेप जैसी भयावह घटना के बाद कई बार पीड़िता गर्भवती हो जाती है। कुछ मामलों में गर्भपात की अनुमति नहीं मिल पाती, जिससे पीड़िता को मजबूरी में बच्चे को जन्म देना पड़ता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसे बच्चों की परवरिश कौन करता है और उन्हें कैसे संभाला जाता है? आइए जानते हैं इससे जुड़े नियम और अदालतों के निर्देश।

अदालतों के दिशा-निर्देश: रेप से जन्मे बच्चों के अधिकार

– इलाहाबाद हाईकोर्ट (2015): कोर्ट ने कहा था कि नाबालिग से रेप के बाद जन्मे बच्चे का रेपिस्ट पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट (2016): कोर्ट ने रेप के कारण जन्मे बच्चे को अलग से मुआवजा देने का आदेश दिया था।

– बॉम्बे हाईकोर्ट (2017): अदालत ने कहा कि रेप पीड़िताओं को सिर्फ मुआवजा देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष पॉलिसी बननी चाहिए।

– बॉम्बे हाईकोर्ट (2022): कोर्ट ने रेपिस्ट को आदेश दिया कि वह रेप से जन्मे बच्चे को 2 लाख रुपये का मुआवजा दे।

ऐसे बच्चों की परवरिश कैसे होती है?

भारत में इस तरह जन्मे बच्चों के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। लेकिन चाइल्ड राइट्स एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर जिले में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) होती है। यह कमेटी बच्चे की सुरक्षा और परवरिश का फैसला करती है।

1. चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का रोल: यह कमेटी मेडिकल, मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स, और सोशल वर्कर्स की मदद से तय करती है कि बच्चे को जन्म देना उचित है या नहीं।

2. बच्चे का भविष्य: अगर परिवार बच्चे को पालने के लिए तैयार नहीं होता, तो कमेटी उसे ‘चाइल्ड इन नीड ऑफ केयर एंड प्रोटेक्शन’ के तहत लेकर राज्य सरकार को सौंप देती है। ऐसे बच्चे को शेल्टर होम में भेजा जाता है।

3. बच्चे की देखभाल: जन्म के बाद यदि पीड़िता अनुमति देती है, तो बच्चे को मां का दूध मिलता है। इसके बाद, कमेटी की देखरेख में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया से गुजरता है।

समाज की जिम्मेदारी और कानूनी प्रक्रिया

रेप से जन्मे बच्चे एक दुर्घटना के परिणाम होते हैं, जिन्हें समाज को समझदारी और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए। उनकी परवरिश और सुरक्षा के लिए अदालतें लगातार नए दिशा-निर्देश देती रही हैं, लेकिन इस मुद्दे पर ठोस कानून की जरूरत है।

रेप पीड़िताओं और उनके बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए समाज और सरकार को मिलकर काम करना होगा। सही देखरेख और संवेदनशीलता से इन बच्चों को बेहतर भविष्य दिया जा सकता है।

 

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