नई दिल्ली: साल के तीसरे महीने से ही मौसम का मिजाज काफी तीखा बना हुआ है। बेमौसम बारिश से शहरवासियों ने राहत की सांस ली। लेकिन गांव में स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है। करीब 6 पछुआ हवा चलने से मार्च में करीब 3 बार मौसम ने करवट बदली। इससे फसले बर्बाद हो गई। हिमाचल […]
नई दिल्ली: साल के तीसरे महीने से ही मौसम का मिजाज काफी तीखा बना हुआ है। बेमौसम बारिश से शहरवासियों ने राहत की सांस ली। लेकिन गांव में स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है। करीब 6 पछुआ हवा चलने से मार्च में करीब 3 बार मौसम ने करवट बदली। इससे फसले बर्बाद हो गई। हिमाचल से लेकर पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश, आंधी और ओले पड़ने से फसलें बर्बाद हो गई हैं।
इस आसमानी आपदा का सिलसिला 30 और 31 मार्च तक चलता रहा और फिर इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा. मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार आपदा अभी पूरी तरह टली नहीं है। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में 3 अप्रैल तक बूंदाबांदी जारी रहेगी।
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि पछुआ हवा के चलते भारत के सभी उत्तरी राज्यों में 2 अप्रैल तक बौछारें पड़ती रहेंगी, लेकिन 4 अप्रैल को जब फिर से पछुआ हवा शुरू होगी तो भारी बारिश और फिर से आंधी चलने की संभावना है। 8 अप्रैल से बढ़ेगा रात का पारा भी कम रहेगा। अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक हालात ठीक हो जाएंगे और धीरे-धीरे पारा बढ़ने लगेगा। मौसम विभाग ने कहा है कि अप्रैल के आखिर में पसीने छुटाने वाली गर्मी का अहसास होने लगेगा। अगले कुछ महीनों तक तेज गर्मी और लू चलने की उम्मीद है। इससे न केवल फसलों को नुकसान होगा, बल्कि लोग भी परेशानी में आएंगे।
गेहूं तो सभी फसलों में सबसे अहम है। इसका इस्तेमाल रोटी बनाने के लिए किया जाता है। बात करें इसकी फसल की तो गेहूं रबी सीजन में उगाई जाती है। साथ ही इस समय धान की फसल लगभग पककर तैयार है। कई इलाकों में अनाज की कटाई जारी है, जबकि कुछ जगहों पर अभी भी पछेती फसलें खेतों में खड़ी हैं। अब अगर मौसम ऐसे ही चलता रहा तो खेत का सारा अनाज खराब हो सकता है।
इस वक़्त कई जगहों पर बारिश की वजह से आम के फूल भी गिर गए हैं। इस दौरान किसानों को अपना भी ध्यान रखना होता है। पेड़ों, खंभों और पानी से दूर रहें। गड़गड़ाहट और बिजली गिरने के समय पर सुरक्षित जगह पर चले जाएं। बिन मौसम बारिश से फसल तो बर्बाद होती ही है साथ ही अनाज बुरी तरह से सड़ जाता है। यह अनाज खाने लायक नहीं रह पाता। कुछ समय पहले भी गेहूं की फसल के दानों में सिकुड़न पैदा हो गई थी।