राहुल गांधी का भारत जोड़ो यात्रा में बयान, “नफरत के बाजार में, मेरी दुकान मोहब्बत की”

अलवर: कांग्रेस के नेता, राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि यह देश “प्यार का है, नफरत का नहीं” है, इसलिए मैं नफरतों के बाजार में एक मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूँ. राहुल ने अपनी “भारत जोड़ो यात्रा” पर सवाल उठाने वाले (भाजपा) के नेताओं से कहा, “आपके आपका बाजार नफरतों से भरा हुआ […]

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राहुल गांधी का भारत जोड़ो यात्रा में बयान, “नफरत के बाजार में, मेरी दुकान मोहब्बत की”

Amisha Singh

  • December 19, 2022 6:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

अलवर: कांग्रेस के नेता, राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि यह देश “प्यार का है, नफरत का नहीं” है, इसलिए मैं नफरतों के बाजार में एक मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूँ. राहुल ने अपनी “भारत जोड़ो यात्रा” पर सवाल उठाने वाले (भाजपा) के नेताओं से कहा, “आपके आपका बाजार नफरतों से भरा हुआ है, मेरी दुकान मोहब्बत की है”.

 

गांधी ने कहा कि भाजपा के नेताओं को भी इस “नफरतों वाले बाजार में प्यार की दुकानें खोलनी” चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा: “आखिर में, वही करना होगा क्योंकि हमारा देश प्यार का देश है, न कि नफरत का। आपको बता दें, इस सभा में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकरजुन खरगे, के साथ सीएम अशोक गेहलोट भी शामिल थे। गांधी ने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल योजना की भी खुलकर तारीफ की।

राहुल गांधी के अध्यक्षता वाली यात्रा सोमवार को राजस्थान के दौसा से फिर से शुरू हुई, जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ वरीय नेता सचिन पायलट भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के साथ थे। यह यात्रा 24 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करेगी और लगभग आठ दिनों तक जारी रहेगी। जिसके लगभग लगभग आठ दिनों के विराम के बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और अंत में जम्मू-कश्मीर की ओर यात्रा फिर से शुरू की जाएगी।

 

राहुल गांधी की छवि कितनी बदली?

 

नेहरू-गांधी परिवार के चिराग राहुल गांधी को राजनीति में कदम रखे करीब दो दशक हो रहे हैं। माना जाता है कि भारत जोड़ो यात्रा से पहले उनकी छवि एक गंभीर नेता के तौर पर नहीं थी। विपक्षी पार्टियां उन्हें जमीनी नेता के बजाय उन्हें सिर्फ हवा हवाई नेता बता रही थी। हालांकि, राहुल गांधी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने करोड़ो रूपए खर्च करके उनकी छवि को खराब किया है। देखा जाए तो राहुल गांधी बीते 100 दिनों की यात्रा में उस मुकाम को हासिल करने में कामयाब हो रहे हैं, जिसके लिए वो बीते 18 सालों से संघर्ष करते हुए नजर आ रहे थे। इससे पहले बीच बीच में उनमें स्पार्क जरूर नजर आया हो, लेकिन ये पहली बार है कि जब राहुल गांधी की राजनीतिक मैदान में गंभीर खिलाड़ी के तौर पर देखा जा रहा है।

 

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