नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आज (20 अप्रैल) मोदी सरनेम वाली टिप्पणी मामले को लेकर एक और झटका लगा. दरअसल आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस के पूर्व सांसद ने सूरत की एक सत्र अदालत में याचिका दायर की थी. आज सूरत की सत्र अदालत ने इस याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए राहुल गांधी को बड़ा झटका दिया है. उनकी अर्ज़ी खारिज हो गई है. लेकिन इसी के साथ अब राहुल गांधी के जेल जाने पर सवाल उठने लगे हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा प्रकरण और कांग्रेस नेता के पास कितना है समय.
दरअसल 23 मार्च को चार साल पुराने मोदी सरनेम मामले में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी. ये पूरा मामला 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक भाषण से जुड़ा था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी. सजा मिलने के साथ ही निचली अदालत ने राहुल गांधी की सजा पर एक महीने की रोक लगा दी थी. इसके बाद राहुल गांधी की ओर से दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी जिसे आज कोर्ट ने खारिज कर दिया. ऐसे में राहुल गाँधी के पास केवल 23 अप्रैल यानी अगले तीन दिन तक का समय है. यदि इन तीन दिनों में वह दोषसिद्धि पर रोक लगवा पाते हैं तो वह जेल नहीं जाएंगे. यदि हाई कोर्ट ने भी उन्हें कोई राहत नहीं दी तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा.
हालांकि राहुल गांधी जल्द ही हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले हैं. उनके सामने अब हाई कोर्ट का विकल्प है यदि उच्च न्यायलय राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा देता है तो उन्हें जेल नहीं जाना होगा लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो यकीनन कांग्रेस नेता जेल जाएंगे. बता दें, इससे पहले एडिशनल सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को कोर्ट में मौजूद न रहने की छूट दी थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने कहा था कि मोदी सरनेम वाली टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था। इसके साथ ही इस मामले में अधिकतम सजा सुनाए जाने की भी जरूरत नहीं थी।
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