नई दिल्ली. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है. राहुल के नामांकन के लिए अहमद पटेल, शीला दीक्षित, मोतीलाल वोरा, कमलनाथ, तरूण गोगोई, मोहसिना किदवई, अशोक गहलोत, नारायण सामी प्रस्तावक बने. सोमवार 4 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है, अगर आज कोई और नेता राहुल गांधी के खिलाफ नामांकन दाखिल नहीं करता है तो राहुल को आज ही निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया जाएगा. वहीं अगर कोई और नेता राहुल के सामने नामांकन दाखिल करता है तो कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 16 दिसंबर को वोटिंग होगी और 19 दिसंबर को मतगणना होगी. राहुल औपचारिक तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष का पद कब संभालेंगे ये पार्टी की ओर से अभी साफ नहीं किया गया है. बता दें कि वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां पिछले 19 साल यानि 1998 से कांग्रेस की अध्यक्ष हैं.
ये तो हुई बात राहुल गांधी के उपाध्यक्ष पद से कांग्रेस के होने वाले अध्यक्ष पद तक पहुंचने के सफर के बारे में. अब बात करते है कि क्या राहुल गांधी के लिए पार्टी अध्यक्ष का पद किसी चुनौती से कम होगा. अध्यक्ष बनने के बाद राहुल के सामने क्या क्या चुनौतियां होंगी. सबसे पहले बात करते हैं. गुजरात चुनाव की, गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राहुल गांधी दिन रात एक किए हुए है. गुजरात में चुनाव की घोषणा के बाद से राहुल सूबे के कई चुनावी दौरे कर चुके हैं. 22 साल से राज्य में सत्ता का अज्ञातवास झेल रही कांग्रेस में जान फूंकने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. इसी क्रम में राहुल लगातार बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. राहुल लगातार गुजरात में बीजेपी के 22 साल के शासन पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि क्या राहुल सूबे में बीजेपी के विरुद्ध सत्ता विरोधी माहौल को भुना पाएंगे. क्या वो इस एंटी इनकंबेंसी को जीत के आंकड़ों में दर्ज कर पाएंगे.
2018 से शुरु होगी असली परीक्षा
सोनिया गांधी की तरह राहुल गांधी के सामने भी कई चुनौतियां हैं. राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे मुश्किल दौर में पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं. कभी देश भर में शासन करने वाली कांग्रेस की आज सिर्फ 6 राज्यों में सरकार हैं. लोकसभा में भी कांग्रेस का प्रतिनिधित्व अभी तक के इतिहास में सबसे कम 44 हैं. इससे पहले 1996 में कांग्रेस की लोकसभा में 140 सीटें थीं. तो मिलाकर ये कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राहुल गांधी कांटों से भरा अध्यक्ष पद का ताज पहनने जा रहे हैं. इस मुश्किल दौर में राहुल के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश भर में छिन्न भिन्न हो चुके संगठन को एकजुट करने की होगी. इसके अलावा अगर राहुल फिर से कांग्रेस की सत्ता केंद्र में देखना चाहते हैं तो फिलहाल उन्हें दूसरी पार्टियों का सहारा लेना ही होगा. लेकिन दूसरी पार्टियों को अपनी शर्तों पर मनाना राहुल के लिए आसान नहीं होगी.
2018 में 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव एक बड़ी चुनौती
राहुल गांधी के लिए 2018 में 8 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव बड़ी चुनौती पेश करेंगे. 2018 में मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में चुनाव होने हैं. जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य केंद्र की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं. इन चुनावों में राहुल गांधी के नेतृत्व की परीक्षा होनी लाजमी है. बड़ी बात ये है कि इन 8 राज्यों में से सिर्फ मेघालय, मिजोरम और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, बाकी बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में बीजेपी को पछाड़कर कांग्रेस को सत्ता दिलाना एक असंभव भी चुनौती दिखती है. इसके बाद देश भर में पैर पसार रहीं बीजेपी को 2019 में सत्ता तक पहुंचने के लिए रोकना राहुल गांधी के लिए टेढी खीर होगा.
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