नई दिल्ली. फ्रांस की ओर से भारत के साथ 59 हजार करोड़ रुपये की राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच का आदेश दिए जाने के बाद से कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग कर रही है।
राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक पोल चालू किया है और पूछा है कि जेपीसी जांच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं है? इसमें चार ऑप्शन भी दिए हैं- अपराधबोध, मित्रों को भी बचाना है, जेपीसी को राज्यसभा सीट नहीं चाहिए, ये सभी विकल्प सही हैं।
वहीं इससे एक दिन पहले राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में हैशटैग राफेलस्कैम का इस्तेमाल करते हुए लिखा था, ‘चोर की दाढ़ी।’
दरअसल, फ्रांसीसी वेबसाइट ‘मीडिया पार्ट’ के अनुसार, दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर जांच गत 14 जून को औपचारिक रूप से आरंभ हुई. इस डील पर फ्रांस और भारत के बीच 2016 में हस्ताक्षर हुए थे। डील में कथित अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में ‘मीडिया पार्ट’ की एक रिपोर्ट सामने आने और फ्रांसीसी एनजीओ ‘शेरपा’ की ओर से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पीएनएफ द्वारा जांच का आदेश दिया गया है. ‘मीडिया पार्ट’ से संबंधित पत्रकार यान फिलिपीन ने कहा कि 2019 में दायर की गई पहली शिकायत को पूर्व पीएनएफ प्रमुख की ओर से ‘दबा दिया गया था।’
वेबसाइट ने फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए दावा किया था कि राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविशन ने एक भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो दिए थे। हालांकि दसॉं एविएशन ने इस आरोप को खारिज कर दिया था।
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