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तेजस्वी के CM बनने की राह में राहुल बने सबसे बड़ा रोड़ा! जानबूझकर नहीं दे रहे साथ

पटना/नई दिल्ली: बिहार में अगले साल यानी 2025 में विधानसभा के चुनाव होंगे. इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. सत्ताधारी गठबंधन NDA में शामिल दोनों बड़े दल- बीजेपी और जेडीयू ने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने भी चुनाव को […]

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Tejashwi Yadav-Rahul Gandhi
  • October 22, 2024 6:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

पटना/नई दिल्ली: बिहार में अगले साल यानी 2025 में विधानसभा के चुनाव होंगे. इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. सत्ताधारी गठबंधन NDA में शामिल दोनों बड़े दल- बीजेपी और जेडीयू ने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने भी चुनाव को लेकर अपनी कमर कस ली है.

आरजेडी ने बढ़ाई अपनी सक्रियता

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. राजद के नेता लगातार प्रदेश में अपने संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. आरजेडी नेताओं का कहना है कि उनका लक्ष्य 2025 में तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना है. पार्टी इसी लक्ष्य को लेकर चुनाव की तैयारियां कर रही है.

कमजोर कांग्रेस बन गई सिर-दर्द

बिहार में कांग्रेस पार्टी की सांगठनिक कमजोरी राजद के लिए सिर दर्द बन गई है. राजद नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की इस कमजोरी का नुकसान उन्हें उठाना पड़ता है. मालूम हो कि बिहार में पिछले 5-6 सालों से कांग्रेस का जिला स्तर तक कोई संगठन नहीं है. राजद के कई नेता अक्सर कांग्रेस की इस कमजोरी का जिक्र करते पाए जाते हैं. उनका कहना है कि अगर कांग्रेस भी राजद की तरह ही मेहनत करे तो आसानी से राज्य की सत्ता में आया जा सकता है.

कांग्रेस का चुनाव में खराब प्रदर्शन

बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन राजद की तुलना में बेहद खराब रहा था. गठबंधन में चुनाव लड़ी आरजेडी ने जहां 144 सीटों उम्मीदवार उतारे थे और 75 पर जीत हासिल की थी. वहीं, 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिली थीं. उस वक्त भी राजद के कई नेताओं ने कहा था कि अगर कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 50% भी रहता तो उनका गठबंधन आसानी से सरकार बना लेता. सियासी गलियारों की मानें तो बिहार में कांग्रेस की सांगठनिक कमजोरी के पीछे पार्टी आलाकमान का ढुलमुल रवैया जिम्मेदार है.

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