नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को सुरक्षित स्पेश के तौर पर रखा जाना चाहिए, जहां डिबेट्स का माहौल हो. ऐसा ना हो कि वहां डिबेट करने वाले छात्रों को राष्ट्रद्रोही बताकर चुप करा दिया जाए. हर तरह के विचारों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए. उन्होंन कहा कि यूनिवर्सिटी को ऐसे स्थान के रूप में सम्मान किया जाना चाहिए जहां विचारों पर चर्चा होती हो और आप अन्य पक्ष को यह कहकर चुप नहीं कराया जाए कि आपको इस तरह बोलने का अधिकार नहीं या आप राष्ट्रद्रोही हो.
रघुराम राजन केरल सरकार द्वारा कोच्चि में आयोजित ग्लोबल डिजिटल समिट को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने देश में बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या पर भी बात की. उन्होंने कहा कि हमारे पास सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि भारत में नौकरी कैसे पैदा कर सकते हैं? हमें लोगों को कृषि से उद्योग और सेवाओं में स्थानांतरित करने की क्षमता का विकास किया जाना चाहिए. ऐसा करने के हमें तरीकों के बारे में पता करना होगा.
इसके साथ ही उन्होंने यह भी खुलासा किया कि वे माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर क्यों नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह 30 सेकेंड में कुछ शब्दों में ट्वीट का जवाब नहीं दे सकते इसलिए ट्विटर पर नहीं हैं. उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि मेरे पास वक्त नहीं है और मेरा मानना है कि जब हम सोशल मीडिया जैसी चीजों में उलझ जाते हैं तो हमें अपनी निरंतरता बनाई रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे पास समय नहीं है इसलिए मैं इससे दूर हूं. उन्होंने कहा कि 140 शब्दों में अपनी बात कहके मैं 20-30 सेकेंड में उस पर रिप्लाई नहीं दे सकता.
पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने बताया, क्यों नहीं करते वो ट्विटर का इस्तेमाल
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