Rafale Deal: सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार से राफेल सौदे की कीमत और डील के फायदों के बारे में जानकारी मांगी है. सीलबंद लिफाफे में केंद्र सरकार को यह जानकारी 10 दिनों के भीतर देनी होगी.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे मामले में नरेंद्र मोदी सरकार से बुधवार को सीलबंद लिफाफे में कीमत और डील के फायदे के बारे में जानकारी मांगी है. केंद्र सरकार को डिटेल देने के लिए 10 दिन का वक्त दिया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानकारी याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने को कहा, जिससे सार्वजनिक किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सौदे में ऑफसेट साझेदारों को शामिल करने के बारे में भी जानकारी मांगी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह भारतीय वायु सेना के लिए उपकरणों की कीमतों और इसकी उपयुक्तता पर विचार नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि अगले महीने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें एक याचिका संयुक्त रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 10 अक्टूबर को यह आदेश दिया था कि वह चरणबद्ध तरीके से इस सौदे की खरीद प्रक्रिया की जानकारी दे.
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यह भी माना कि दो जनयाचिकाओं में कही गई बातें अपर्याप्त थीं और लिहाजा उनको नोटिस जारी नहीं किया गया है. चीफ जस्टिस की बेंच में जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ ने साफ कहा कि उनके आदेश का मकसद सिर्फ यही जानना है कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया की वैधता क्या है. राफेल डील सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में करीब 4 याचिकाएं लंबित पड़ी हैं. यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने राफेल डील मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है. उन्होंने भारत और फ्रांस के बीच हुए इस सौदे में सरकार द्वारा आपराधिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है.