नई दिल्ली: भारत में यूपीएससी सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. सालों की कड़ी मेहनत के बाद लाखों उम्मीदवार अपनी परीक्षा देते हैं. लेकिन अंत में कुछ का ही चयन होता है. कड़ी मेहनत, दृढ़ता और मार्गदर्शन का उचित संयोजन ही यूपीएससी के उम्मीदवारों को आईएएस परीक्षा में सफल होने में सहायता कर सकता […]
नई दिल्ली: भारत में यूपीएससी सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. सालों की कड़ी मेहनत के बाद लाखों उम्मीदवार अपनी परीक्षा देते हैं. लेकिन अंत में कुछ का ही चयन होता है. कड़ी मेहनत, दृढ़ता और मार्गदर्शन का उचित संयोजन ही यूपीएससी के उम्मीदवारों को आईएएस परीक्षा में सफल होने में सहायता कर सकता है. आज हम एक IAS ऑफिसर की संघर्ष भरी कहानी बताएंगे जिनके बारे में जानकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी
महाराष्ट्र के पालघर जिले के छोटे से शहर बोईसर के एक आईएएस ऑफिसर वरुण बरनवाल हैं, जो अक्सर डॉक्टर बनने का सपना देखते थे. आपको बता दें कि वरुण बरनवाल के पिता साइकिल मैकेनिक थे और वो अपने घर के नजदीक एक छोटी सी दुकान चलाते थे. उनके पिता ने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत की. साल 2006 में ही वरुण बरनवाल ने अपने पिता को खो दिया, अपने पिता की अचानक मृत्यु के बाद परिवार का आर्थिक बोझ वरुण बरनवाल पर आ गया क्योंकि वे अपने परिवार में सबसे बड़े थे।
वरुण बरनवाल के पिता की साइकिल मरम्मत की दुकान ही उनके परिवार की आय का एकमात्र स्रोत थी. अपने पिता की मृत्यु के बाद वरुण ने दुकान की जिम्मेदारी संभालने और अपने परिवार की देखभाल करने का निर्णय लिया. ये सभी जिम्मेदारी संभालने के बाद वरुण बरनवाल ने 10वीं की परीक्षा में अपनी कक्षा में टॉप किया. जब वरुण की मां ने पढ़ने के प्रति लगन देखा तो उसे ऐसा लगा कि जीवन में कुछ करने की चाहत है. इसके बाद दुकान की जिम्मेदारी संभाली और अपने बेटे को आगे पढ़ाई जारी रखने को कहा. इसके बाद वरुण को आस-पास के कुछ लोगों ने भी IAS अफसर बनने में मदद की. आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद वरुण बरनवाल ने आखिरकार यूपीएससी की परीक्षा में देश में 32वां रैंक हासिल किया और एक आईएएस अधिकारी बन गए।
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