नई दिल्ली. अपनी दादी और मां को रोता-बिलखता देख 5 साल का गुरप्रकाश सिंह हैरान और भ्रमित है. उसे मालूम ही नहीं कि पंजाब के मोगा के घलोटी खुर्द गांव स्थित उसके घर में हुआ क्या है. उसे सिर्फ यह मालूम है कि उसके पिता जम्मू में ‘ड्यूटी’ पर तैनात हैं और जल्द ही वापस आकर नए स्कूल में एडमिशन कराएंगे. गुरुवार को पुलवामा फिदायीन हमले में सीआरपीएफ हेड कॉन्स्टेबल जयमाल सिंह (44) शहीद हो गए.
गुरप्रकाश ने कहा, ”पापा जम्मू में हैं…जल्द ही वापस आएंगे. वह सीआरपीएफ में हैं. वहां से हमारे लिए पैसे लाएंगे.” जयमाल उस बस के ड्राइवर थे, जिसे आतंकवादियों ने उड़ा दिया. उनका सिर्फ एक ही सपना था कि उनके बेटे को अच्छी शिक्षा मिले और इसके लिए वह अपने परिवार के साथ इस महीने के अंत तक चंडीगढ़ शिफ्ट हो रहे थे. जालंधर में भी उन्होंने गुरप्रकाश का एडमिशन कॉन्वेंट स्कूल में कराया था, ताकि बेटा अच्छा पढ़-लिख सके. वह खुद परिवार की वित्तीय परेशानियों के कारण ज्यादा नहीं पढ़ सके थे.
वह परिवार का खर्चा चलाने के लिए सेना में भर्ती हुए थे. उनकी पत्नी सुखजीत कौर (42) ने बताया, ”हम इस महीने के अंत में चंडीगढ़ शिफ्ट होने वाले थे. वह नए स्कूल में फर्स्ट क्लास में बेटे का एडमिशन कराना चाहते थे. बहुत परेशानियों और मिसकैरिज के बाद शादी के 18 साल बीतने पर हमें औलाद हुई थी. वह पूरी दुनिया में अपने बेटे से सबसे ज्यादा प्यार करते थे. मुझे नहीं पता कि गुरप्रकाश उनके बिना कैसे रहेगा. सुखजीत ने बताया, वह और गुरप्रकाश दिन में 5-6 बार फोन पर बात करते थे. कई बार वीडियो कॉल पर गुरप्रकाश पूरे दिन का हाल बताता था.”
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