नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए फिदायीन आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी कार सीआईएसएफ काफिले में घुसा दी, जिसके बाद हुए तेज धमाके में दो बसों के परखच्चे उड़ गए. सड़क खून से लाल हो गई और जवानों के चिथड़े चारों और बिखरे पड़े थे.
इस घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा है. शहीदों के परिवारों में मातम पसर गया है. लेकिन ऐसे खतरनाक हमले के बाद जवानों के शवों की पहचान कैसे हुई? इसमें मदद की आधार, छुट्टी की अर्जी और जवानों की पर्सनल चीजों ने. एक अफसर ने बताया कि आरडीएक्स ब्लास्ट की वजह से जवानों को पहचानना बहुत मुश्किल हो रहा था. ज्यादातर जवानों को उनके बैग में रखे आधार कार्ड, आईडी पेपर्स, पैन कार्ड और लीव एप्लिकेशन के जरिए पहचाना गया. कुछ जवानों को उनके साथियों ने घड़ी और वॉलेट के जरिए पहचाना.
सीआरपीएफ के श्रीनगर और जम्मू बेस के अफसरों ने इस चुनौतीपूर्ण काम को अंजाम दिया. उन्होंने काफिले में शामिल सैनिकों के परिवारों को फोन किया और बताया कि कोई जवान गुमशुदा नहीं है और शहीदों की पहचान सही है. एक अन्य अफसर ने बताया, एक जवान दिल्ली में मिला जबकि दूसरे ने जम्मू में कुछ जरूरी काम के कारण अंतिम क्षण में यात्रा को रोक दिया था. फॉरेंसिक जांच होने के बाद दिल्ली स्थित सीआरपीएफ हेडक्वॉटर्स ने शुक्रवार शाम 40 शहीद जवानों की सूची जारी की थी. भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया है. साथ ही पड़ोसी देश पर कार्रवाई करने की तैयारी भी की जा रही है.
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