September 20, 2024
  • होम
  • Pulses Production: 2027 तक दालों के उत्पादन में भारत बनेगा आत्मनिर्भर, सरकार ने तैयार किया खाका

Pulses Production: 2027 तक दालों के उत्पादन में भारत बनेगा आत्मनिर्भर, सरकार ने तैयार किया खाका

  • WRITTEN BY: Nidhi Kushwaha
  • LAST UPDATED : February 16, 2024, 6:10 pm IST

नई दिल्ली। भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। जो कि साल 2027 तक दलहन के उत्पादन (Pulses Production) में आत्मनिर्भरता हासिल करने और इसके आयात को कम करने के लिए लगातार प्रयासरत है। ऐसे में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि घरेलू दलहन उत्पादन में पहले ही उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जो कि 2014 के 1.7 करोड़ टन से काफी ज्यादा हो चुका है। इस साल 2.95 करोड़ टन के उत्पादन का लक्ष्य है। इस दौरान, अर्जुन मुंडा ने जलवायु अनुकूल किस्मों और अन्य प्रौद्योगिकियों के तेजी से प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। बता दें कि दालों की कमी (Pulses Production) को पूरा करने के लिए देश सालाना करीब 35 लाख टन दलहन का आयात करता है।

अर्जुन मुंडा ने ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (GPC) और सहकारी संस्था नेफेड (NAFED) की के द्वारा आयोजित सम्मेलन में संबोधन के दौरान कहा, भारत चने (Chana) और कई अन्य दलहन फसलों के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। सिर्फ अरहर (Tur) और उड़द (Urad) में थोड़ी कमी है। ऐसे में 2027 तक दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। सरकार ने बीजों की नई किस्मों की आपूर्ति भी बढ़ा दी है, साथ ही अरहर और उड़द की खेती बढ़ाने पर भी ध्यान दिया है।

बढ़ाया जाएगा दलहन का उत्पादन

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि दलहन उत्पादन(Pulses Production) बढ़ाने के लिए खाका तैयार हो चुका है। सरकार बीज विकास अनुसंधान और खेती के मूल्यांकन के लिए उपग्रह इमेजरी जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही समय पर उचित सलाह प्रदान कर रही है और सिंचाई एवं उर्वर्क के लिए हर किसान के खेत की ‘मैपिंग’ भी कर रही है।

तुअर की दाल के खरीद के लिए पोर्टल

केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा कि चालू रबी सीजन (Rabi Season) में दालों का रकबा एक लाख हेक्टेयर बढ़ा है। ऐसे में सिंचित क्षेत्रों में तुअर (Tur) की बुवाई के लिए प्रोत्सान दिया जा रहा है। सरकार की तरफ से तुअर की सुनिश्चित और पूर्ण खरीद के लिए एक पोर्टल शुरू किया है। अर्जुन मुंडा ने कहा कि तुअर किसान इस पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं और अपनी पूरी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या प्रचलित बाजार दर, जो भी अधिक हो, पर सहकारी समितियों- नेफेड और एनसीसीएफ को बेचा जा सकता है।

ये भी पढ़ें- अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में अपना विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए कही ये बात

Tags

विज्ञापन

शॉर्ट वीडियो

विज्ञापन