Pandit Birju Samrat dies : बुझ गई पूरब अंग संगीत की लौ, कथक और शास्त्रीय संगीत के पितामह पंडित बिरजू महाराज का निधन

नई दिल्ली : New Delhi   Pandit Birju Samrat dies : भारतीय रंगमंच की खुशबू को देश-दुनिया में अमिट पहचान दिलाने वाले वेद शास्त्रों से उपजे शास्त्रीय संगीत के गायन व नर्तन की समस्त विधाओं के प्रवर्तक और पूरब अंग गायकी के पितामह पंडित बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj का 17 जनवरी 2022 को 83 […]

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Pandit Birju Samrat dies : बुझ गई पूरब अंग संगीत की लौ, कथक और शास्त्रीय संगीत के पितामह पंडित बिरजू महाराज का निधन

Aanchal Pandey

  • January 17, 2022 11:26 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली : New Delhi

  Pandit Birju Samrat dies : भारतीय रंगमंच की खुशबू को देश-दुनिया में अमिट पहचान दिलाने वाले वेद शास्त्रों से उपजे शास्त्रीय संगीत के गायन व नर्तन की समस्त विधाओं के प्रवर्तक और पूरब अंग गायकी के पितामह पंडित बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj का 17 जनवरी 2022 को 83 साल की उम्र में हृदयघात (हार्ट अटैक) से निधन हो गया.  

पंडित बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj का जन्म 4 फरवरी 1938 को नवाबों के शहर लखनऊ में हुआ था. ये लखनऊ घराने से ताल्लुक रखते थे. इनका वास्तविक नाम पं. बृजमोहन मिश्र उर्फ (बिरजू) था.

बिरजू महाराज के पूर्वज

बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj के पूर्वज इलाहाबाद के रहने वाले थे. उनका पैत्रिक निवास प्रयागराज जिले की हंडिया तहसील में हैं. जानकारी के मुताबिक सन 1800 के दरम्यान यहां कत्थक कलाकारों के 989 परिवार रहते थे. जिसकी पहचान के रूप में वहां आज भी सती का चौरा और कथकों का तालाब स्थित है.  

    बिरजू महाराज के गांव में सूखा पड़ने के बाद लखनऊ के नवाब ने इनके पूर्वजों को भरण पोषण किया. उसके बाद बिरजू महाराज के पूर्वज नवाब वाजिद अली शाह को कत्थक सिखाने की शिक्षा देने लगे.

बिरजू महाराज का परिवार Pt. Birju Maharaj

.  इनके पिता का नाम अच्छन महाराज था, जो इनके शुरूवाती गुरू थे. इनके चाचा का नाम शंभु महाराज और लच्छू महाराज था. लच्छू महाराज भी जाने-माने कथक नर्तक थे. बिरजू महाराज को दो बेटों और तीन बेटियों समेत कुल पांच बच्चे हैं.

बिरजू महाराज का बचपन Pt. Birju Maharaj

 बिरजू महाराज Pt. Birrju Maharaj के बचपन का नाम पहले दु:खहरण रखा गया था. जिस अस्पताल मे वे पैदा हुए थे, उस दिन वहां सिर्फ लड़कियों का जन्म हुआ था. सिर्फ बिरजू महाराज ही एकमात्र लड़का पैदा हुए थे. इस वजह से उनका नाम बृजमोहन रखा गया. जिसका शॉर्ट नेम बिरजू हुआ और तमाम उपलब्धियों के बाद वे बिरजू महाराज हो गए.

 

नटखट बिरजू पर अम्मा का गुस्सा Pt. Birrju Maharaj

बिरजू महाराज Pt. Birrju Maharaj की मां को उनका गिल्ली डंडा खेलना और पतंग उड़ाना बिल्कुल पसन्द नही था. जब बिरजू की अम्मा उन्हें बचपन में पतंग खरीदने के लिये पैसे नहीं देती थी. तो नन्हे बिरजू पतंग बेचने वाले बब्बन मियां को नाच गाने दिखाकर पतंग ले लिया करते थे.

बचपन में ही पिता का निधन Pt. Birrju Maharaj

बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj का बचपन बड़े अभावों और कठिनाइयों में बीता. मात्र 9 साल की उम्र में ही इनके पिता का निधन हो गया था. पिता के निधन के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनके ही कन्धों पर आ गई. उसके बाद इन्होने अपने चाचा के साथ कत्थक नृत्य का प्रशिक्षण लिया.  

बिरजू महाराज की प्रतिभा Pt. Birrju Maharaj

ये कथक नृत्य के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत में भी पारंगत थे. इसके अलावा भी बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj को तबला, पखावज, नाल, सितार आदि कई म्यूजिकल इंस्टूमेंट पर महारत हासिल थी. वे बहुत अच्छे गायक कवि और चित्रकार थे. उनकी ठुमरी, दादरा, भजन, व गजल का कोई जवाब नहीं था.

कत्थक का महत्व Pt. Birju Maharaj

मध्यकाल में कत्थक का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं से था. और अन्य नृत्यों से था. लेकिन देश में मुगल प्रभाव बढ़ने के बाद बादशाहों ने इसे मनोरंजन का केन्द्र बना दिया. वेदों में गायी जाने वाली शामगान की परंपराओं और आठ शास्त्रीय नृत्यों में कत्थक सबसे पुराना है. इस शब्द का संस्कृत में अनुवाद कहानी सुनाने वाला होता है.  

संघर्ष के दिनों में Pt. Birju Maharaj

 इनके संघर्ष के दिनों में कपिला वात्स्यायन इन्हें दिल्ली लेकर चली आईं. जहां इन्होने संगीत भारती (दिल्ली) में छोटे बच्चों को कत्थक सिखाना शुरू किया. इसके बाद उन्होने कत्थक केन्द्र (दिल्ली) का भी कार्यभार संभाला.

  बिरजू महाराज का कारवां Pt. Birju Maharaj

बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान, और बाजीराव मस्तानी जैसी कई फिल्मों में डांस कोरियोग्राफ किया. इसके अलावा उन्होने सत्यजीत राय की शतरंज के खिलाड़ी में म्यूजिक डायरेक्शन का काम भी किया था. वैसे तो बिरजू महाराज कई पुरस्कारों से सुशोभित हैं. जिसमें पद्मविभूषण, संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, कालिदास सम्मान इसके अलावा विश्वरूपम फिल्म में बेस्ट कोरिओग्राफी के लिये नेशनल अवॉर्ड से नजावाज गया. बिरजू महाराज ने ‘ सन 1998 में कलाश्रम’ नाम से कत्थक संस्थान की स्थापना भी की है.

 

  निधन पर देशभर में शोक की लहर

बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj  के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है. उनके निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई दिग्गज हस्तियों ने दुख प्रकट किया.

  पीएम मोदी ट्वीट

भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!

 

अदनान सामी

बिरजू महाराज Pt. Birju Maharaj के निधन पर मशहूर सिंगर अदनाम सामी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज के निधन से बहुत दुखी हूं. हमने आज कला का एक अनोखा संस्थान खो दिया. उन्होने अपनी प्रतिभा से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है.

 

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