Project Cheetah: नामीबिया से भारत पहुंचे 8 चीते, जानिए ‘चीता प्रोजेक्ट’ की 5 बड़ी बातें

नई दिल्ली। नामीबिया से उड़ान भरा एक विशेष विमान शनिवार यानि आज सुबह मध्य प्रदेश के ग्वालियर एयरपोर्ट पर पहुंच गया है। इस विमान में दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जीव यानि चीतों को रखा गया हैं, जिनकी संख्या 8 है। यहां से इनको हेलीकॉप्टर के माध्यम से कुनो नेशनल पार्क ले जाया गया, […]

Advertisement
Project Cheetah: नामीबिया से भारत पहुंचे 8 चीते, जानिए ‘चीता प्रोजेक्ट’ की 5 बड़ी बातें

SAURABH CHATURVEDI

  • September 17, 2022 10:08 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। नामीबिया से उड़ान भरा एक विशेष विमान शनिवार यानि आज सुबह मध्य प्रदेश के ग्वालियर एयरपोर्ट पर पहुंच गया है। इस विमान में दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जीव यानि चीतों को रखा गया हैं, जिनकी संख्या 8 है। यहां से इनको हेलीकॉप्टर के माध्यम से कुनो नेशनल पार्क ले जाया गया, यहां पर पीएम मोदी द्वारा उनको छोड़ा जाएगा।

एक महीने तक क्वारंटाइन बाड़े में रहेंगे

नामीबिया से आए 8 चीते मप्र के कूनो अभयारण्य में एक महीने तक क्वारंटाइन बाड़े में रहेंगे, वहीं पर्यटकों को इनको देखने के लिए लगभग तीन महीने जनवरी 2023 तक छोटा इंतजार करना होगा। बता दें कि देश में 75 साल पहले साल 1947 में आखिरी बार चीता देखा गया था।

चिनूक हेलीकॉप्टर से कुनो नेशनल पहुंचे

नामीबिया से उड़ान भरा चीतों के साथ विमान भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा संचालित ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर आज सुबह लगभग 8 बजे पहुंच गया है। इसके लगभग एक घंटे बाद, उन्हें भारतीय वायुसेना के चिनूक भारी-भरकम हेलीकॉप्टर से म.प्र. के कुनो नेशनल पार्क भेजा गया।

प्रोजेक्ट चीता की 5 बड़ी बाते

1. बता दें कि भारत अतीत में एशियाई चीतों का मुख्य घर था, लेकिन साल 1952 तक ये प्रजाती घरेलू रूप से विलुप्त हो गए थे। चीता बिल्लियों की श्रेणी में आते हैं जिनको एक अंतरमहाद्वीपीय स्थानान्तरण परियोजना के तहत नामीबिया से भारत लाया गया है।

2. मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान स्थित है, जिसकी दूरी ग्वालियर से लगभग 165 किमी की है। प्रचुर मात्रा में शिकार और घास के मैदानों की वजह से कुनो पार्क को चीतों के घर के रूप में चुना गया है।

3. एक अधिकारी ने बताया कि पीएम मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के अवसर पर तीन चीतों को पार्क के संगरोध बाड़ों में छोड़ंगे।

4. इस प्रोजेक्ट के आलोचकों का कहना है कि चीतों को अपने आवास के अनुकूल रहने के लिए परेशानी उठानी पड़ सकती हैं, जो यहां पर पहले से मौजूद तेंदुओं की महत्वपूर्ण संख्या के साथ संघर्ष कर सकते हैं।

5. आईयूसीएन रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज के मुताबिक कमजोर माने जाने वाले चीतों की संख्या दुनिया भर में 7,000 से कम हैं।

Project Cheetah: 74 साल बाद चीतों की घर वापसी, जानिए रफ्तार के बादशाह की पूरी कहानी

Advertisement