चंडीगढ़। शुक्रवार को पटियाला कोर्ट में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सरेंडर कर दिया. सिद्धू को कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई. हालांकि, सिद्धू के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि सिद्धू को सरेंडर के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दे दिया जाए. लेकिन […]
चंडीगढ़। शुक्रवार को पटियाला कोर्ट में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सरेंडर कर दिया. सिद्धू को कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई. हालांकि, सिद्धू के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि सिद्धू को सरेंडर के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दे दिया जाए. लेकिन कोर्ट ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. जिसके बाद सिद्धू को जेल जाना पड़ा. सिद्धू को पटियाला जेल में कैदी नंबर 241383 मिला है. इसके साथ ही सिद्धू को जेल में एक कुर्सी, मेज,एक अलमारी, दो पगड़ी, एक बेड, तीन अंडरवियर, एक कंबल और दो टॉवल, चार कुर्ते पजामे, बनियान, एक कॉपी पेन, एक मच्छरदानी, एक जोड़ी जुते, दो बेडशीट और दो सिरहाने का कवर मिला है।
बता दें कि सिद्धू को प्रदेश में कड़ी सुरक्षा मिली हुई थी, पूर्व क्रिकेटर शानो शौकत और आलीशान जिंदगी जीते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल जेल की सजा मिलने के बाद अब सिद्धू को अपनी साल भर जेल में गुजारना पड़ेगा और साधारण जीवन जीना पड़ेगा।
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को कल सुप्रीम कोर्ट ने रोडरेज मामले में एक साल की सजा सुनाई. बता दें कि 34 साल पुराने रोड रेज केस जिसमें सिद्धू को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने 3 साल कैद और सिर्फ एक हजार रुपए जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी. जिसके बाद पीड़ित ने सिद्धू की सज़ा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट बीते दिनों सुनवाई कर चुका है और गुरूवार को सजा ऐलान किया है।
गौरतलब है कि 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू शाम को अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट गए थे. मार्केट में 65 साल के गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर उनकी कहासुनी हो गई जो देखते ही देखते बात मारपीट तक पहुंच गई. इस मारपीट में सिद्धू ने घुटना मारकर गुरनाम सिंह को नीचे गिरा दिया था. जिसके बाद में जख्मी हालत में उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई थी. इस मामले में सिद्धू के खिलाफ पंजाब के पटियाला जिला में FIR दर्ज की गई थी. जिसके बाद 22 सितंबर 1999 को पटियाला के ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त संधू को बरी कर दिया था. लेकिन इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी. अर्जी पर सुनवाई के दौरान सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह 34 साल पुराना मामला है. इस मामले में दोषसिद्धि पर सुप्रीम कोर्ट ने ही रोक लगाई थी और बाकायदा उसका विस्तृत आदेश भी दिया गया था।
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