नई दिल्ली: भारत की किताब में जीत के उस सुनहरे पन्ने को आज पूरे 24 साल हो गए हैं जो कई भारतीय जवानों के बलिदान की सियाही से लिखे गए हैं. सुनहरे अक्षरों में लिखे गए करगील विजय दिवस को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. भारतीय इतिहास का वो पन्ना है जहां भारत ने […]
नई दिल्ली: भारत की किताब में जीत के उस सुनहरे पन्ने को आज पूरे 24 साल हो गए हैं जो कई भारतीय जवानों के बलिदान की सियाही से लिखे गए हैं. सुनहरे अक्षरों में लिखे गए करगील विजय दिवस को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. भारतीय इतिहास का वो पन्ना है जहां भारत ने पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिला दी थी. इसी युद्ध की बदौलत कश्मीर पर कब्ज़ा करने का पाकिस्तान का सपना आज तक सपना ही है.
Prime Minister Narendra Modi pays tribute to Bravehearts on #KargilVijayDiwas pic.twitter.com/TFO9C2wbkA
— ANI (@ANI) July 26, 2023
हालांकि इस युद्ध में कई वीर शहीद हुए जिनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. इसी क्रम में आज करगिल युद्ध दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलिदान देने वाले वीरों को याद किया है और श्रद्धांजलि दी है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘कारगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत पराक्रमियों की शौर्यगाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बने रहेंगे। इस विशेष दिवस पर मैं उनका हृदय से नमन और वंदन करता हूं। जय हिंद!’
16 हजार फीट की ऊंचाई… माइनस 10 डिग्री पर पारा… जब बात द्रास पर चढ़ने की आई तो सभी जवानों के हाथ-पैर फूलने लगे. लेकिन चोटी पर कब्जा करने आए पाकिस्तानियों को भगाना था इस बीच भारतीय सेना का जो अफसर सबसे आगे खड़ा था वो नींबू साहब थे. जब उन्होंने चढ़ाई करनी शुरू कि तो उनके जूते कमजोर पड़ने लगे और फिसलने लगे. लेकिन उनका हौसला कहां रुकने वाला था. दिल में भारतीय जुनून लिए उन्होंने जूतों को त्याग दिया और इतनी ठंड में बिना जूतों के ही खतरनाक चढ़ाई की. फ्रॉस्ट बाइट से उनकी जान भी जा सकती थी लेकिन बिना इसकी परवाह किए उन्होंने मोजे भी उतार दिए और नंगे पैर ही चट्टानों पर चढ़ पड़े.
उनके हौसले को देख कर धीरे-धीरे बाकी के साथियों ने भी ऊपर चढ़ना शुरू किया. बाद में नींबू साहब ने रॉकेट लांचर से फायर कर एक के बाद एक सात पाकिस्तानी बंकरों को तबाह कर दिया। अफ़सोस जवाबी फायरिंग में नींबू साहब को गोली लगी. लेकिन तब भी उनका हौसला डगमगाया नहीं और वह दुश्मनों से लड़ते रहे. आखिरकार नींबू साहब के साथियों ने पोस्ट पर अपना कब्ज़ा जमाया लेकिन भारत ने अपने हीरो को खो दिया. नींबू साहब जा चुके थे और उनके साथियों की आँखें नम रह गईं.
भारत के रक्षा मंत्रालय की कमान उस समय जार्ज फ़र्नांडिस के हाथों में थी और टाइगर हिल अब भी भारत के हाथ से बाहर था. उस पर पाकिस्तानी घुसपैठिए कब्ज़ा जमाए बैठे थे. लेफ़्टिनेंट बलवान सिंह और कैप्टन सचिन निंबाल्कर भारत के वो जांबाज अफसर थे जो टाइगर हिल फतह करने से बस 50 मीटर नीचे थे. ब्रिगेड मुख्यालय तक ‘दे आर शॉर्ट ऑफ़ द टॉप.’ का संदेश भेजा गया जिसका अर्थ ‘टाइगर हिल की चोटी अब बस कुछ ही दूर है’ था. लेकिन श्रीनगर से दिल्ली तक आते-आते इस संदेश की भाषा बिलकुल बदल गई. ‘दे आर ऑन द टाइगर टॉप’ संदेश पहुंचा जिसके बाद टाइगर हिल पर भारत के कब्जे का ऐलान कर दिया गया. हालांकि बाद में भारत ने फतह हासिल कर ली लेकिन ये ख़ुशी जीत से पहले ही मनाई गई थी.