Price Hike : इस बार की बढ़ती महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ कर रख दी है. किचन का सामान जैसे सरसो तेल, चावल (rice price) , दाल, आटा, सरसों तेल, सोयाबीन तेल (edible oil price) या फिर चाय हो या नमक बढ़ने दाम ने से आम आदमी का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. इस साल में इनकी कीमतें इतनी बढ़ गई है1 कि बजट गड़बड़ा गया है.
नई दिल्ली. इस बार की बढ़ती महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ कर रख दी है. किचन का सामान जैसे सरसो तेल, चावल (rice price) , दाल, आटा, सरसों तेल, सोयाबीन तेल (edible oil price) या फिर चाय हो या नमक बढ़ने दाम ने से आम आदमी का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. इस साल में इनकी कीमतें इतनी बढ़ गई है1 कि बजट गड़बड़ा गया है. उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, एक अप्रैल 2020 के मुकाबले एक अप्रैल 2021 को खाद्य तेलों की कीमतों में 47 प्रतिशत, दालों की कीमतें 17 प्रतिशत और खुली चाय में 30 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. वहीं, चावल के रेट में 14.65 प्रतिशत, गेहूं के आटे में 3.26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, चीनी सस्ती हुई है.
किचन के समान का दाम हुआ इतना
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में खाने के तेलों की कीमतों भारी इजाफा हुआ है. पैक पाम तेल 87 रुपये से उछलकर करीब 121 रुपये, सूरजमुखी तेल 106 से 157, वनस्पति तेल 88 से 121 और सरसों का तेल (पैक) 117 से 151 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है. वहीं. मूंगफली 139 से 165 और सोया तेल 99 से 133 रुपये लीटर पर पहुंच गया है.
खाने के तेल के अलावा चाय और दूध के दाम भी बढ़े हैं. एक साल में खुली चाय 217 से 281 रुपये किलो पहुंच गई है. चाय के दाम में कुल 29 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. नमक के भाव भी इस एक साल में 10 फीसद बढ़ चुका है. वहीं दूध भी 7 फीसद महंगा हो चुका है. बता दें कि उपभोक्ता मंत्रालयप पर दिए गए ये आंकड़े देशभर के 135 खुदरो केंद्रों में से 111 केंद्रों से जुटाए गए हैं.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अरहर यानी तूअर की दाल औसतन 91 रुपये किलो से करीब 106 रुपये , उड़द दाल 99 से 109, मसूर की दाल 68 से 80 रुपये प्रति किलो पर पहुंच चुकी है. मूंग दाल भी 103 से 105 रुपये किलो पर पहुंच गई है.
यह हम सभी के लिए वास्तव में एक बड़ी समस्या है, क्योंकि उच्च कीमतें हमारे मासिक बजट को परेशान कर रही हैं.
फरवरी के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने मजबूत कीमतों की सीमा को दिखाया. फरवरी में मांस और मछली की कीमतों में सालाना 11.3% की वृद्धि हुई, जबकि अंडे की कीमतों में 11.1% की वृद्धि हुई. तेल और वसा 20.8% बढ़े, जबकि दाल और उत्पाद 12.5% बढ़े। वास्तव में, मटन की कीमतें, जो कि 500 रुपये प्रति किलोग्राम से पहले महामारी थी, लॉकडाउन के दौरान लगभग दोगुनी हो गई और एक साल बाद 750-800 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई.
अरहर दाल की कीमत, जो पिछले साल अप्रैल में दिल्ली में लगभग 95 रुपये प्रति किलोग्राम थी, अब बढ़कर 108 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. यह अन्य दालों जैसे उड़द और मूंग जैसे मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों की कहानी है। खाद्य तेल की कीमतों में भी गिरावट आई है. पिछले साल मुंबई में सरसों का तेल 114 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, जो अब 155 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध है, जबकि कोलकाता में सूरजमुखी 105 रुपये प्रति किलो है, जो अब 179 रुपये प्रति किलोग्राम है.
बढ़ती ईंधन की लागत भी घरों के संकट में शामिल हो गई है, हालांकि देर से कुछ सहजता आई है. 2014 में एनडीए सरकार महंगाई के दबाव का प्रबंधन करने में सफल रही थी, क्योंकि उच्च कीमतों की पृष्ठभूमि के खिलाफ सत्ता संभालने के बाद, लेकिन महामारी-ट्रिगर कीमत में वृद्धि ने गाड़ी को परेशान किया है.