नई दिल्ली। एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल का समर्थन मिल गया है। इसके बाद अब उनकी जीत पक्की मानी जा रहा है। दूसरी तरफ विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का कहना है कि ये विचारधारा की लड़ाई है। देश को एक रबड़-स्टांप राष्ट्रपति नहीं चाहिए।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल का समर्थन मिलने के साथ ही अब द्रोपदी मुर्मू के पास करीब 52 प्रतिशत वोट (करीब 5,67,000 वोट) हो गए हैं। देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 10,86,431 वोट हैं। मुर्मू को मिलने वाले संभावित वोटों में से 3,08,000 वोट बीजेपी और उसके एनडीए के सहयोगी सांसदों के हैं। दूसरी तरफ बीजू जनता दल के पास करीब 32,000 वोट हैं। जो कुल वोटों का करीब 2.9 फीसदी है।
बता दें कि बीजू जनता दल अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ट्वीट कर राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों से अनुरोध किया हैकि वे 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू को वोट दें। जानकारी के मुताबिक फिलहाल पटनायक इटली की यात्रा पर गए पटनायक है। उन्होंने मुर्मू को ओडिशा की बेटी बताते हुए लोगों से उनका समर्थन करने की अपील की है।
द्रौपदी मुर्मू के सफर की बात करें तो उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ओडिशा में पार्षद बनने के साथ की थी। साल 1958 में 20 जून को जन्मी द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल गठबंधन की सरकार के दौरान, 2000-2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से मई तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के पद पर रही थीं। इसके अलावा साल 2000 और 2004 में ओडिशा की पूर्व मंत्री और रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से द्रौपदी विधायक भी रही हैं। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी बनी थीं।
पहली महिला राज्यपाल नियुक्त होने से पहले मुर्मू ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता भी रही हैं। बहरहाल निर्वाचित होने के बाद अब द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। इसके अलावा द्रौपदी भारत के ओडिशा राज्य से देश की पहली राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू के पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है. उनका कार्यकाल काफी उत्कृष्ट रहा है।
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