नई दिल्ली। प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग होती है। इस चुनाव में प्रत्येक वोट का मूल्य राज्य की जनसंख्या और वहां की विधानसभा सीटों की कुल संख्या के हिसाब से तय किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में लोगों का प्रतिनिधित्व करे।
वोटों का यह मूल्य वर्तमान या पिछली जनगणना की जनसंख्या के आधार पर तय नहीं होती है। इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में जनगणना का आधार 2026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदल जाएगा। यानी 2031 की जनगणना के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद 1971 के बजाय 2031 की जनगणना के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोटों का मूल्य तय होगा।
अब बात करते हैं विधायक और सांसद के वोट की कीमत की। दोनों का मूल्य निर्धारित करने का तरीका अलग है। एक विधायक के वोट की कीमत एक साधारण फॉर्मूले से तय होती है। सबसे पहले उस राज्य की जनसंख्या को 1971 की जनगणना के अनुसार लेते हैं। इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को सौ से गुणा किया जाता है। गुणा करने पर प्राप्त संख्या को कुल जनसंख्या से भाग दिया जाता है। जो परिणाम आता है वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है।
इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। जैसे 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 8,38,49,905 थी। राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलते हैं। अब हम 8,38,49,905 को 403000 से विभाजित करते हैं तो हमें 208.06 उत्तर मिलते हैं। वोट दशमलव में नहीं हो सकते, इस प्रकार उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है।
अब बात करते हैं सांसदों के वोटों की कीमत की। सांसदों के वोट के मूल्य तक पहुंचने के लिए सभी विधायकों के वोट मूल्य को जोड़ा जाता है। जोड़ने पर आने वाली संख्या को राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों की कुल संख्या से विभाजित किया जाता है। यही एक सांसद के वोट की कीमत होती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों के वोटों का कुल मूल्य 208*403 यानी 83,824 है।
इसी तरह देशभर के सभी विधायकों के वोट वैल्यू का योग 549,495 है। राज्यसभा के कुल 233 सांसद और लोकसभा के 543 सांसदों का जोड़ 776 हैं। अब 549495 को 776 से विभाजित करने पर हमें 708.11 मिलता है। इस पूर्णांक में 708 लिया जाता है। इस प्रकार एक सांसद के एक वोट का मूल्य 708 होता है। विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ कहा जाता है। यह संख्या 10,98,903 होती है।
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