राष्ट्रपति चुनाव 2022: बसपा प्रमुख मायावती का बड़ा ऐलान, इस राष्ट्रपति उम्मीदवार को देंगी समर्थन

लखनऊ। देश में अगले महीने में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने जा रहा है। राष्ट्रपति पद के लिए सत्ताधारी पार्टी एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. वहीं विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों तरफ से चुनाव की तैयारियां चल रही है. बता दें कि बहुजन समाजवादी पार्टी ने […]

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राष्ट्रपति चुनाव 2022: बसपा प्रमुख मायावती का बड़ा ऐलान, इस राष्ट्रपति उम्मीदवार को देंगी समर्थन

Mohmmed Suhail Mewati

  • June 25, 2022 1:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ। देश में अगले महीने में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने जा रहा है। राष्ट्रपति पद के लिए सत्ताधारी पार्टी एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. वहीं विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों तरफ से चुनाव की तैयारियां चल रही है. बता दें कि बहुजन समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है. बसपा प्रमुख मायावती ने मीडिया से बात करते हुए आज यानी शनिवार को बड़ा ऐलान किया है. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में स्पष्ट कर दिया कि चुनाव में बीएसपी एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू या विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा में से किस प्रत्याशी को समर्थन देंगी।

इन्हें दिया समर्थन

बता दें कि बहुजन समाज वादी पार्टी प्रमुख और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि, “हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने मूवमेंट का खास हिस्सा मानते हुए, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का फैसला लिया है. हमने यह अति महत्वपूर्ण निर्णय बीजेपी और एनडीए के पक्ष या फिर विपक्षी पार्टी के विरोध में नहीं लिया है. बल्कि अपनी पार्टी के मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए एक आदिवासी समाज की योग्य और कर्मठ महिला को देश की राष्ट्रपति बनाने के लिए यह फैसला लिया है.

विपक्षी पार्टियों को भी घेरा

दरअसल, मायावती ने कहा कि , “बसपा गरीब और दलित की पार्टी है. बीजेपी ने राष्ट्रपति के चुनाव में बातचीत का केवल दिखावा किया. जबकि शरद पवार और ममता बनर्जी ने विपक्ष की बैठक में बीएसपी को नहीं बुलाया गया जो राष्ट्रपति चुनाव को लेकर था. लेकिन हमारी पार्टी जुमलेबाजी नहीं करती है. हमलोग मानवतावादी सोच के हैं.

पूर्व सीएम मयावती ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी अंबेडकर की सोच को लागू नहीं होने देना चाहते है. यूपी में 4 बार के बीएसपी के शासनकाल में यूपी में विकास हुआ है. लेकिन जातिवादी सोच के लोग बीएसपी को नीचा दिखाते हैं. जबकि केन्द्र की पार्टी बीएसपी को हमेशा तोडती है.

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