शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने यह फैसला कठुआ और इंदौर में मासूम बच्चियों से दरिंदगी के बाद उपजे गुस्से के मद्देनजर लिया था, जिसे आज राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी.
नई दिल्ली. 12 साल के कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के दोषी को फांसी की सजा के अध्यादेश को नरेंद्र मोदी सरकार ने शनिवार को मंजूरी दी थी. रविवार को मोदी सरकार के आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश, 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी हरी झंडी दे दी है. इस संबध में अब गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है, जिसके बाद अब यह कानून बन गया है. सरकार ने दुष्कर्म के मामले में त्वरित जांच और मुकदमे के लिए भी कई कदम उठाए हैं, जिसके तहत जांच के लिए दो महीने का समय और मुकदमा पूरा करने के लिए दो महीने का समय और छह महीने के अंतर्गत अपील के निपटान करने का प्रावधान है. 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अग्रिम जमानत का भी कोई प्रावधान नहीं है. मंत्रिमंडल ने त्वरित अदालतों के माध्यम से जांच और अभियोजन को मजबूत करने और यौन अपराधियों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के अलावा इसके लिए सभी राज्यों में विशेष फोरेंसिक लैब बनाने का भी निर्णय लिया गया है.
मंत्रिमंडल का यह फैसला जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या किए जाने और सूरत में नौ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या किए जाने समेत देश के विभिन्न हिस्सों से इसी तरह की घटनाओं के बाद पूरे देश में उपजे विरोध और गुस्से के बाद लिया है. इस अध्यादेश में बच्चियों और नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के लिए सख्त कानून के साथ पोक्सो अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है. इसके अंतर्गत 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने पर कम से कम 20 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास या मृत्यु तक कारावास का प्रावधान है.
वहीं 16 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म पर दोषी को पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी होगी. 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में दोषियों को पूरी जिंदगी जेल की सजा या मृत्युदंड का प्रावधान है. महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने पर सजा को सश्रम कारावास के साथ सात वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है और जिसे बढ़ाकर आजीवन कारावास में बदला जा सकता है.
अध्यादेश में 16 वर्ष की उम्र से कम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने पर न्यूनतम सजा को 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष कर दिया गया है, जिसे बढ़ाकर आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, जिसका मतलब है दोषी को जिंदगी भर जेल में रहना होगा. अध्यादेश के अनुसार, 16 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में जमानत याचिका पर निर्णय करने से पहले अभियोजन पक्ष और पीड़िता के वकील को 15 दिन पहले नोटिस देना होगा. कानून को सख्त बनाने के साथ, राज्य, केंद्रशासित प्रदेश और उच्च न्यायालय से संपर्क करके त्वरित अदालतों का निर्माण किया जाएगा.
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