बता दें कि इससे पहले जयपुर ही नही बल्कि पूरे देश में कुली के पेशे में कभी किसी महिला के आने की बात नही सुनी गई. मंजू अपना अनुभव बताते हुए कहती हैं कि जब मैंने इस पेशे में कदम रखा तो मेरा कुल वजन 30 किलो था और यात्रियों के सामान का वजन भी अमूमन 30 किलो ही होता था.
जयपुर बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाली 112 महिलाओं को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया. इन महिलाओं में ओलंपिक मेडलिस्ट पीवी सिंधू, टेनिस सनसनी सनिया मिर्जा, बाक्सिंग चैंपियन मैरीकॉम, फिल्म स्टॉर ऐश्वर्या रॉय आदि शामिल थीं. अपने अपने क्षेत्रों की इन सेलिब्रिटी महिलाओं के अलावा इन 112 महिलाओं की लिस्ट में एक नाम ऐसा भी है, जिस पर आप शायद यकीन न करें. इन्हें सम्मानित करने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खुद कहा कि मैं आज से पहला इतना भावुक कभी नही हुआ. बता दें कि निम्न वर्ग से आने वाली राजस्थान की मंजू के पति की मौत बहुत कम समय में ही हो गई थी. पति की मौत के बाद मंजू पर बच्चो को पालने की चुनौती थी और कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उनके पास कोई विकल्प भी नही था. ऐसे में उनके भाई ने उनसे जयपुर आकर काम ढूंढने को कहा. जब मंजू अपने बच्चों को लेकर जयपुर आईं तो महिला होने के कारण उन्हें काम ढूंढने में बहुत मुश्किल आई. ऐसे में मंजू ने सारे मिथकों को तोड़ते हुए जयपुर रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करना शुरु कर दिया.
बता दें कि इससे पहले जयपुर ही नही बल्कि पूरे देश में कुली के पेशे में कभी किसी महिला के आने की बात नही सुनी गई. मंजू अपना अनुभव बताते हुए कहती हैं कि जब मैंने इस पेशे में कदम रखा तो मेरा कुल वजन 30 किलो था और यात्रियों के सामान का वजन भी अमूमन 30 किलो ही होता था. मेरे पास दो विकल्प थे या तो मैं यही काम जारी रखूं या फिर बच्चों का पेट भरने के लिए काम ढूंढने के लिए किसी और की मदद लूं. मंजू आगे कहतीं हैं कि मैंने पहला विकल्प चुना और 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद मैं जयपुर स्टेशन पर कुली बन गई. बता दें कि सम्मान के लिए चुनी गई कुल 112 महिलाओं में से कुल 90 अपना सम्मान लेने पहुंची थीं. इस मौके पर मौजूद रहीं केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरु करने के बाद लिंग अनुपात में जबर्दस्त उछाल आया है.