नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 31 से बढ़ा कर 34 करने के विधेयक पर दस्तखत कर इसे संविधान का अंग बनाने के आदेश का राजपत्र जारी कर दिया. राष्ट्रपति के दस्तखत होते ही सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की और वैकेंसी बन गई है गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट जजों की कुल संख्या दस फीसद बढ़ाए जाने का विधेयक लोकसभा ने पिछले सोमवार को और राज्यसभा ने बुधवार को पारित कर दिया था. इस विधेयक में चूंकि जजों की बढ़ी संख्या के मुताबिक सरकारी खजाने से धन आवंटित कराना भी था लिहाज़ा इस वित्त विधेयक के रूप में दोनों सदनों ने मंजूरी दी.
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था. कुछ दिन पहले विधि मंत्रालय ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 60 हजार मामले लंबित हैं. इतना ही नहीं सीजेआई ने पीएम मोदी को पत्र में लिखा था कि 1988 में तीन दशक पहले सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या को 18 से बढ़ाकर 26 की गई थी. इस तरह अब इतने दशक बीत जाने के बाद मामलों के निपटान में तेजी लाने के लिए एक बार फिर जजों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है. इससे पहले 2009 में 26 जजों की संख्या बढ़ाकर सीजेआई सहित 31 की गई.
सीजेआई ने पत्र में पीएम मोदी से अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट में जज की संख्या पूरी न होने की वजह से कई महत्वपूर्ण मामले अटक जाते हैं जिसपर फैसले के लिए जरूरत के मुताबिक संविधान पीठ नहीं गठित हो पा रही. सोमवार को शीर्ष अदालत में मौजूदा जजों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रस्ताव पेश हुआ. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जजो की स्वीकृत संख्या 30 हैऔर एक मुख्य न्यायाधीश भी होते हैं. इस विधेयक के अब देश की सबसे ऊंची अदालत में चीफ जस्टिस के अलावा 33 जज होंगे. यानी चीफ जस्टिस सहित 34 जज सुप्रीम कोर्ट में होंगे.
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