नासिक: महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 2027 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 23 मार्च के दौरे के बाद प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों में तेजी आई है। हालांकि, इस भव्य आयोजन के नाम को लेकर मतभेद उभर आए हैं।
मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान त्र्यंबकेश्वर के अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने इस मेले का नाम “त्र्यंबकेश्वर-नासिक सिंहस्थ कुंभ मेला” रखने की मांग की थी। वहीं, नासिक अखाड़ों के नेताओं ने जोर देकर कहा कि इसका नाम सिर्फ “नासिक कुंभ मेला” ही होना चाहिए। इस विषय पर हाल ही में नासिक नगर निगम मुख्यालय में अधिकारियों और अखाड़ा परिषद के संतों के बीच बैठक हुई, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका।
नासिक जिले में यह कुंभ मेला 14 जुलाई से 25 सितंबर 2027 के बीच गोदावरी नदी के तट पर आयोजित होने की संभावना है। कुंभ का यह आयोजन हर 12 वर्षों में होता है, और पिछला नासिक कुंभ 2015 में हुआ था।
इस मेले की तैयारियों की समीक्षा के लिए महाराष्ट्र के जल संसाधन और आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने त्र्यंबकेश्वर का दौरा किया। समीक्षा बैठक में संभागीय आयुक्त प्रवीण गेदाम, जिला कलेक्टर जलज शर्मा और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी महाराज सहित कई प्रमुख संत और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। बैठक के दौरान अखाड़ा परिषद के संतों ने त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र, विशेष रूप से कुशावर्त क्षेत्र में जगह की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने नर्मदा नदी के किनारे नए घाट और कुंडों के निर्माण की मांग की, जिसे मंत्री गिरीश महाजन ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी।
कुंभ मेले को चार प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
पूर्ण कुंभ मेला – प्रत्येक 12 वर्षों में चार प्रमुख तीर्थ स्थलों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) में आयोजित होता है।
महाकुंभ मेला – प्रत्येक 144 वर्षों में एक बार प्रयागराज में होता है।
अर्धकुंभ मेला – हर 6 साल में प्रयागराज और हरिद्वार में आयोजित होता है।
सिंहस्थ कुंभ मेला – विशेष रूप से उज्जैन और नासिक में 12 साल के अंतराल पर होता है।
2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के बाद अब 2027 में नासिक कुंभ की तैयारी शुरू हो गई है। आने वाले महीनों में नामकरण को लेकर सरकार और अखाड़ा परिषद के बीच अंतिम सहमति बनने की संभावना है।
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