नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग में कुछ ही दिनों का समय बाकी है जिसकी तैयारियां आखिरी चरणों में हैं. सब कुछ सही रहा तो ISRO का Chandrayaan-3 मिशन कामयाब होगा। बता दें, चंद्रमा के लिए चंद्रयान-3 इसी महीने 13 जुलाई को लॉन्च होने वाला है. इसरो […]
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग में कुछ ही दिनों का समय बाकी है जिसकी तैयारियां आखिरी चरणों में हैं. सब कुछ सही रहा तो ISRO का Chandrayaan-3 मिशन कामयाब होगा। बता दें, चंद्रमा के लिए चंद्रयान-3 इसी महीने 13 जुलाई को लॉन्च होने वाला है. इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कुछ दिनों पहले ही बताया है कि इस बार हम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होंगे. उन्होंने इस मिशन को भारत की बड़ी कामयाबी बताई है.
#WATCH | "Today, at Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota, the encapsulated assembly containing Chandrayaan-3 is mated with LVM3," tweets ISRO.
(Video Source: ISRO) pic.twitter.com/OctR9nLuwM
— ANI (@ANI) July 5, 2023
इस बीच बुधवार (5जून) को इसरो ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया है जिसमें चंद्रयान और मिशन को लेकर तैयारी दिखाई दे रही है. वीडियो में जानकारी दी गई है कि यान-3 की इनकैप्सुलेटेड असेंबली को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में LVM3 के साथ जोड़ा गया है। गौरतलब है कि चंद्रयान-3 इसी इनकैप्सुलेटेड असेंबली में मौजूद है जिसकी वीडियो इसरो ने जारी की है. वीडियो में देखा जा सकता है कि LVM3 के साथ इनकैप्सुलेटेड को असेंबल किया जा रहा है.
बता दें, चंद्रयान-3 के लैंडर में चार पेलोड और छह पहिये वाले रोवर में दो पेलोड हैं। ISRO द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम देने का फैसला लिया गया है. Chandrayaan-3 के लैंडर का नाम विक्रम होगा जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के नाम पर रखा गया है. वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया है.
ये मिशन भारत के लिए काफी खास होने वाला है क्योंकि दुनिया के जितने भी देशों ने चन्द्रमा पर अपने यान भेजे हैं उन सभी की लैंडिंग चांद के उत्तरी ध्रुव पर हुई है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला चंद्रयान पहला अंतरिक्ष यान है इसलिए भारत के लिए ये बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. वहीं इसरो ने Chandrayaan-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही लैंड करवाया था लेकिन चंद मिनटों में ही इसका संपर्क टूट गया और ये मिशन नाकाम हो गया. इस बार Chandrayaan-3 मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं जो इस मिशन के एल्गोरिदम को बेहतर करते हैं. इस मिशन के तहत चांद पर चंद्रयान की लैंडिंग को ‘डार्क साइड ऑफ मून’ कहा जाता है क्योंकि चंद्रमा का ये हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं है.