नई दिल्ली. राजनीति रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होते-होते रह गए। कई दौर की बातचीत के बाद प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच बात नहीं बनी। लेकिन कांग्रेस से जाते-जाते प्रशांत किशोर पार्टी को मुफ्त में सलाह दे गए. उन्होंने कहा कि मेरी विनम्र राय है कि कांग्रेस को मुझसे ज्यादा लीडरशिप और जड़ों में पार्टी की ढांचागत समस्याओं को दूर करने के लिए साझा दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है।
प्रशांत किशोर का साफ मतलब था कि कांग्रेस को नेतृत्व बदलने और अपने भीतर बड़े बदलाव करने की जरूरत है। उनके पार्टी से न जुड़ने की खबर और सलाह के बाद दूसरे ही दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एक्शन मोड में नजर आईं। उन्होंने सभी पार्टी सचिवों और वरिष्ठ नेताओं के साथ गंभीर चिंतन के बाद यूपी में अध्यक्ष पद की नियुक्ति के लिए ‘2 फॉर्मूले’ निकाले। इन फॉर्मूलों से साफ है पता चल रहा है कि कांग्रेस परंपरागत पार्टी के ढांचे को बदलने का मन बना चुकी है।
बैठक में गहन मंथन के बाद अध्यक्ष पद को चुनने के लिए निकले फॉर्मूले से इस बात का संकेत हैं मिलता है कि कांग्रेस और पीके के जुड़ाव के आड़े भले ही कुछ शर्तें आ गई हों, लेकिन पीके की मुफ्त सलाह को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से लेते हुए बैठक के अंत में पार्टी दो नामों को लेकर गंभीर दिखी, पहला नाम दलित समुदाय से है तो वही दूसरे ब्राह्मण नेता है। पीएल पुनिया दलित समुदाय से आते हैं, जिनके नाम पर चर्चा की गई। पुनिया राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। 2009 से 2014 के बीच ये लोकसभा सांसद भी रहे। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। वहीं तीन मुस्लिम नेताओं पर भी बात बनती नजर आई उनमें से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नदीम जावेद और सलमान खुर्शीद का नाम दौड़ में दिखते नजर आ रहे है।
अध्यक्ष पद की नियुक्ति अलग अंदाज में होगी..
अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर मीटिंग में दो ऐसे फॉर्मूलों पर चर्चा हुई, जो बिल्कुल अलग है.
फॉर्मूला नंबर 1– प्रदेश में चार जोन में चार अलग-अलग अध्यक्ष बनाए जाएं ताकि पूरे प्रदेश पर कांग्रेस मजबूत पकड़ बना सके। ऐसा करने से हर जोन में बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं से मेल जोल बढ़ाने में आसानी होगी। पीके ने भी बूथ लेवल तक कांग्रेस को अपनी पकड़ बनाने की सलाह दी थी।
फॉर्मूला नंबर 2- पार्टी का एक प्रदेश अध्यक्ष हो, जिसके नीचे चारों जोन के 4 कार्यकारी अध्यक्ष हों। इससे एक हाइरार्की मेंटेन करने और निगरानी व्यवस्था के मैनेजमेंट को और बेहतर किया जा सकेगा। चारों कार्यकारी अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष को और प्रदेश अध्यक्ष टॉप लीडरशिप को रिपोर्ट करेगा।
कांग्रेस पार्टी के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती बूथ लेवल तक पहुंच बनाने और सभी वर्गों को साधने की है। प्रदेश के आकार को देखते हुए अगर प्रदेश अध्यक्ष 4 और कार्यकारी अध्यक्षों के साथ मिलकर काम करेगा तो जनता के बीच पहुंच बनाने और हर जोन से आकलन लेने में आसानी होगी।
दूसरा… पार्टी इस तरह से सभी वर्गों के लोगों को साधने में कामयाबी पा सकती है। प्रदेश अध्यक्ष के तहत 4 अध्यक्ष अगर होंगे तो इसमें 5 वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकेगा।
मंथन के बाद 1 दलित, दो ब्राह्मण, 3 मुस्लिम और दो जनरल समुदाय के नेताओं के नाम सामने आए। हालांकि, आखिर में एक दलित और दूसरे ब्राह्मण नेता पर गंभीर मंथन किया जा रहा है। जिसमें आचार्य प्रमोद कृष्णम, पीएल पुनिया, प्रमोद तिवारी, निर्मल खत्री आदि के नाम सामने आ रहे हैं
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