Prashant Bhushan Guilty: कोर्ट की अवमानना मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण दोषी करार, 20 अगस्त को सजा पर सुनवाई

Prashant Bhushan Guilty: इस मामले में पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए 22 जुलाई के आदेश को वापस लेने के लिए अलग से दायर आवेदन खारिज कर दिया था जिसके तहत न्यायपालिका की कथित रूप से अवमानना करने वाले दो ट्वीट पर अवमानना कार्यवाही शुरू करते हुए नोटिस जारी किया गया था. न्यायालय ने आदेश में कहा, मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता को सुना. हमें इस रिट याचिका पर सुनवाई का आधार नहीं दिखता और इसलिए इसे खारिज किया जाता है. लंबित वादकालीन आवेदन खारिज माना जाए.

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Prashant Bhushan Guilty: कोर्ट की अवमानना मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण दोषी करार, 20 अगस्त को सजा पर सुनवाई

Aanchal Pandey

  • August 14, 2020 1:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली: अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दोषी पाया है. न्यायपालिका के प्रति कथित रूप से दो अपमानजनक ट्वीट करने को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ 20 अगस्त को प्रशांत भूषण को सजा सुनाएगी. दरअसल अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उन दो ट्वीट का बचाव किया था, जिसमें अब कोर्ट ने मान लिया है कि इससे अदालत की अवमानना की गई है. उन्होंने ट्वीट में कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते. 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस ट्वीट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रशांत भूषण को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

इस मामले में पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए 22 जुलाई के आदेश को वापस लेने के लिए अलग से दायर आवेदन खारिज कर दिया था जिसके तहत न्यायपालिका की कथित रूप से अवमानना करने वाले दो ट्वीट पर अवमानना कार्यवाही शुरू करते हुए नोटिस जारी किया गया था. न्यायालय ने आदेश में कहा, मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता को सुना. हमें इस रिट याचिका पर सुनवाई का आधार नहीं दिखता और इसलिए इसे खारिज किया जाता है. लंबित वादकालीन आवेदन खारिज माना जाए.

प्रशांत भूषण के वकील ने कहा कि दो ट्वीट संस्था के खिलाफ नहीं थे, वे न्यायाधीशों के खिलाफ उनकी व्यक्तिगत क्षमता के अंतर्गत निजी आचरण को लेकर थे. वे दुर्भावनापूर्ण नहीं हैं और न्याय के प्रशासन में बाधा नहीं डालते हैं. उन्होंने कहा था भूषण ने न्यायशास्त्र के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है और कम से कम 50 निर्णयों का श्रेय उन्हें जाता है. दवे ने कहा कि अदालत ने टूजी, कोयला खदान आवंटन घोटाले और खनन मामले में उनके योगदान की सराहना की है.

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