Prashant Bhushan Contempt Case: जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'हम इस आधार पर आदेश नहीं देने जा रहे हैं कि प्रशांत भूषण के समर्थन में कौन है और कौन नहीं. प्रशांत भूषण सिस्टम का हिस्सा हैं. आपकी गरिमा जजों के जैसी अच्छी है. यदि आप एक दूसरे को इस तरह खत्म करेंगे, लोगों का सिस्टम में भरोसा नहीं होगा.'
नई दिल्ली: प्रशांत भूषण पर चल रहे अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कई घंटे तक चली सुनवाई के बाद
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि प्रशांत भूषण के बयानों और उनके स्पष्टीकरण को पढ़ना दुखदायक है. उन्होंने कहा, ‘प्रशांत भूषण जैसे 30 साल अनुभव वाले वरिष्ठ वकील को इस तरीके से व्यवहार नहीं करना चाहिए. मैंने वकीलों को पेंडिंग केसों में प्रेस में जाने को लेकर फटकार भी लगाई है. कोर्ट के एक अधिकारी और राजनीतिज्ञ में अंतर है. प्रशांत भूषण जैसे वकीलों के ट्वीट में वजन होना चाहिए। यह लोगों को प्रभावित करता है.’
जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘हम इस आधार पर आदेश नहीं देने जा रहे हैं कि प्रशांत भूषण के समर्थन में कौन है और कौन नहीं. प्रशांत भूषण सिस्टम का हिस्सा हैं. आपकी गरिमा जजों के जैसी अच्छी है. यदि आप एक दूसरे को इस तरह खत्म करेंगे, लोगों का सिस्टम में भरोसा नहीं होगा.’
जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘हम स्वस्थ आलोचना का स्वागत करते हैं. लेकिन हम आलोचना का जवाब देने के लिए प्रेस में नहीं जा सकते हैं. एक जज के रूप में मैं कभी प्रेस में नहीं गया. हमें इस नीति का पालन करना है. ऐसा मत मानिए कि हम किसी को आलोचना से रोक रहे हैं. हर कोई सुप्रीम कोर्ट की आलोचना कर रहा है. क्या हमने कोई ऐक्शन लिया है? प्रशांत के खिलाफ अवमानना का दूसरा केस 11 सालों से लंबित है. क्या हमने कोई ऐक्शन लिया है?” जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कार्यकाल खत्म होने से पहले यह सब देखना दुखद है.
कोर्ट ने पूछा कि भूषण को क्या सजा दिया जाना चाहिए. इसपर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रशांत भूषण को यह चेतावनी दी जा सकती है कि आगे से ऐसा नहीं करेंगे. इसपर जस्टिस अरुण मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल से सवाल किया, अगर भूषण ने कोई गलती नहीं की है तो चेतावनी किस बात की दी जाए? कोर्ट ने कहा कि हमने उन्हें मौका दिया था। गलती हमेशा गलती होती है और संबंधित व्यक्ति को यह समझना चाहिए। कोर्ट कि मर्यादा है और उन्होंने कहा कि मैं माफी नहीं मांगूगा।
प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि अगर भूषण को सजा हुई तो यह न्यायपालिका के लिए काला दिन होगा।भूषण ने एक वकील के तौर पर न्यायपालिका और देश के लिए बहुत किया है। उनका योगदान बहुत है. राजीव धवन ने आगे कहा कि अगर प्रशांत भूषण के बयान को पढ़ा जाए,तो उन्होंने कहा है कि उनके पास इस संस्थान के लिए सबसे अधिक सम्मान है,लेकिन पिछले 4 सीजेआई और इस अदालत के तरीके के बारे में उनकी अलग राय है। जब हम संस्था के बारे में ईमानदारी महसूस करते हैं तो हम अदालत की आलोचना भी करते हैं. धवन का कहना है कि SC को अदालत की अवमानना के लिए भूषण को दोषी ठहराने के अपने फैसले को वापस लेना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है, तो उन्हें अवमानना पर कोई सजा नहीं देनी चाहिए, क्योंकि उसके द्वारा की गई आलोचना कड़ी थी लेकिन अपमानजनक नहीं थी.
राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि प्रशांत भूषण को शहीद न बनाएं। बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने और कल्याण सिंह के जेल जाने के बाद लोग उनकी प्रशंसा करने लगे थे.. कृपया उसे यहां शहीद न बनाएं. राजीव धवन ने आगे कहा- मैं भी मीलॉर्ड की इस बात से सहमत हूं कि फाइल होने से पहले अर्जी या बयान प्रेस तक नहीं पहुंचाए जाने चाहिए. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मीडिया कई बार लाइव रिपोर्टिंग करते हुए एकतरफा और गलत होता है. तो क्या हम उन सबको दंडित करते हैं? हमे अपने और इस महिमामाय संस्थान के बचाव का हक है।
कोर्ट ने आगे कहा- आपको भी हमारे फैसलों की आलोचना का पूरा हक है लेकिन आप संस्थान पर कीचड़ नहीं उछाल सकते। अपनी सोच नहीं थोप सकते। व्यवस्था कब तक आपकी इस नकारात्मक सोच को सहन करेगी? गलती मानने मेें आपको दिक्कत क्या है? किसी से गलती हो गई तो मान लेने में कोई बुराई नहीं है. आप महात्मा गांधी की दुहाई तो खूब देते हैं पर क्षमा मांगने या गलती मानने से कतराते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा.