नई दिल्लीः भारत के स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन साहस को प्रणाम करने का है। पराक्रम दिवस के अवसर पर लाल किले पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगें, जिसमें PM मोदी शामिल होंगे। जानकारी के लिए बता दें 2021 में प्रधानमंत्री […]
नई दिल्लीः भारत के स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन साहस को प्रणाम करने का है। पराक्रम दिवस के अवसर पर लाल किले पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगें, जिसमें PM मोदी शामिल होंगे। जानकारी के लिए बता दें 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने एलान किया था कि अब से हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी यहां से भारत पर्व का भी शुभारंभ करेंगे, जो 23 से 31 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। 26 मंत्रालय और विभाग इसमें शामिल होंगे। कार्यक्रम लाल किले के सामने राम लीला मैदान और माधव दास पार्क में होगा।
हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। भारत सरकार के एलान के बाद हर वर्ष पराक्रम दिवस 23 जनवरी को मनाया जाने लगा। भारत सरकार ने यह दिन सुभाष चंद्र बोस के नाम समर्पित किया है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी को हुआ था। उनकी जयंती के अवसर पर हर वर्ष पराक्रम दिवस मनाकर नेता जी को याद किया जाता है और आजादी के लिए उनके योगदान के लिए नमन करते हैं।
सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का भी कारण है। बोस का संपूर्ण जीवन हर युवा और भारतीय के लिए आदर्श है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए बोस इंग्लैंड पढ़ने गए लेकिन देश की आजादी के लिए प्रशासनिक सेवा का परित्याग कर स्वदेश वापस लौट आए। यहां उन्होंने आजाद भारत की मांग करते हुए आजाद हिंद सरकार और आजाद हिंद फौज का गठन किया। इतना ही नहीं उन्होंने खुद का आजाद हिंद बैंक स्थापित किया, जिसे 10 देशों का समर्थन मिला। उन्होंने भारत की आजादी की जंग विदेशों तक पहुंचाने का कार्य किया।
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