नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) की शुरुआत 25 दिसंबर 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का मकसद है पूरे देश में गांव को आपस में बारमासी सड़कों से जोड़ना. इस योजना का मुख्य उद्देश्य 500 या उससे अधिक वाले ग्रामीण इलाकों और पहाड़ी व रेगिस्तनी क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांव में जहां सड़कें नहीं हैं वहां पर सड़कों को पहुंचाना. इस योजना का लाभ ग्रमाणों को कई मायनों में मिलेगा. सबसे बड़ा फायदा है कि लोग शहर से आसानी से सीधा जुड़ सकेंगे और अपनी फसलों को बेच सकेंगे. इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जो सड़कें बनाई गई हैं उनका रख रखाव करना भी इस योजना में शामिल है. इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी ग्रमीण विकास मंत्रालय के साथ-साथ राज्य सरकारों की भी हैं.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत केवल ग्रामीण सड़कों को कवर किया जाएगा. यह योजना पूरी तरह सेंट्रली स्पॉन्सर स्कीम है. शहरी सड़कें इस योजना के कार्यक्रम में नहीं आती हैं. ग्राम सड़के ऐसी सड़कें ऐसी सड़कें हैं जो गांव/बसावटों या फिर बसावटों के समूह को एक-दूसरे से और उच्च श्रेणी की समीपवर्ती सड़क से जोड़ती हैं. पीएमजीएसवाई के तहत मुख्य जिला सड़कों, राज्य राजमार्गों और राष्ट्रीयमार्गों को शामिल नहीं किया जा सकता है, चाहे वह सड़कें ग्रमीण क्षेत्रों में ही क्यों ना आते हों. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में तारकोल या सीमेंट से बनीं सड़कों की मरम्मत करने की अनुमति नहीं दी गई है, भले ही सतह की स्थिति खराब हो गई हो.
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एंजेसी (NRRDA)बनाई है. सभी राज्य सरकारें राष्ट्रीय ग्रमीण सड़क विकास एजेंसी को जरूरी रिपोर्ट, आंकड़े और जानकारी समय-समय पर उपलब्ध कराएंगी.
राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एंजेसी का काम है ग्रामीण विकास मंत्रायल को निम्नलिखित विषयों पर सहायता देना.
सभी राज्य सरकारों को राज्य स्तर पर राज्य गुणवत्ता समन्वयक यानी कि (SQC)के रूप में काम करने के लिए एक वरिष्ठ अभियन्ता को नियुक्त करना होगा. अभियन्ता का काम यह चेक करना होगा कि राज्य में गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली ठीक से काम कर रही है या नहीं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से लोगों को ग्रामीण स्तर पर रोजगार में भी अवसर मिल रहे हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत रेलवे क्रॉसिंग और तिराहों पर ओवरब्रिज भी बनाए जा रहे हैं. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की मदद से आप अपने गांव की बदहाल सड़क भी ठीक करा सकते हैं. बस आपको सरकार की ओर से बनाई गई मोबाइल एप ‘मेरी सड़क’ का इस्तेमाल करना होगा. यदि आपके गांव की सड़क खराब हो गई है तो आप इस एप की मदद से सीधा प्रधानमंत्री से शिकायत कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए एक शर्त यह है कि जिस सड़क को आप ठीक कराना चाहते हैं वह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई हो.
अबतक 1.7 लाख बस्तियों जिनमें मैदानी क्षेत्र जहां पर जनसंख्या 500 से अधिक है और पहाड़ी क्षेत्र जहां पर जनसंख्या 250 से ज्यादा है को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जा चुका है. 55% (97,838) बस्तियों को मार्च 2014 तक जोड़ा गया, वहीं 82% (80% या 131,000 और 1.3 लाख पीएमजीएसवाई के तहत और 2% या 14,620 राज्य सरकार स्कीम के तहत) को दिसंबर 2017 तक जोड़ा जा चुका है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 2004-14 के बीच रोजाना एवरेज 98.5 किलोमीटर था वहीं 2016-17 में यह आंकड़ा बढ़कर 130 किमी पहुंच गया. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की मदद से कई राज्यों जैसे मनिपुर के ग्रमीणों के लाइफस्टाइल में फर्क पड़ा है, उनके जीवनशैली में बेहतरपन आया है.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की तरह ही कई राज्यों में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना को लागू किया गया है. इनमें बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र शामिल हैं. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़क किनारे पेड़ों को भी लगाया जा रहा है और इसमें कई लेवल पर सरकार को सफलता भी मिली है.
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