ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव और यूनाईटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम द्वारा रिलीज की गई मल्टीडाइमेंशनल इंडेक्स के अनुसार भारत में आदिवासियों, बच्चों, गरीब राज्यों और मुसलमानों में बीच गरीबी में तेजी से कमी आई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में गरीबी की दर लगभग आधी रह गई है
नई दिल्लीः भारत में गरीबी दर सबसे तेज गरीब राज्यों, मुसलमानों, बच्चों और आदिवासियों के बीच घटी है. नए आंकड़ों के मुताबिक इनमें 2005-2006 के बाद के दशक में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) की तरफ से जारी 2018 वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के अनुसार दुनिया में करीब 1.3 अरब लोग बहुआयामी गरीबी का जीवन जीते हैं.
आगे बताया गया कि 104 देशों की आबादी का करीब एक चौथाई है जिसके लिए साल 2018 में एमपीआई की गणना की गई. वहीं इनमें से 1.3 अरब लोग यानी कि करीब 46 फीसदी लोग गरीबी रेखा में जी रहे हैं और एमपीआई में जिन मानकों को चुना गया है उनमें आधे में वह वंचित हैं.सूचकांक में जानकारी दी गई है कि भारत में साल 005-06 और 2015-16 के बीच करीब 27.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. इसके साथ ही देश में गरीबी की दर लगभग आधी रह गई है वहीं एक दशक के समय में 55 फीसदी से कम होकर 28 फीसदी तक रह गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिनमें गरीबी सबसे तेजी से घटी है उसमें मुसमलान, बच्चों, गरीब राज्यों और आदिवासी शामिल हैं.रिपोर्ट के अनुसार देश में गरीबी की दर लगभग आधी रह गई है वहीं दस सालों के अंतराल में यह 55 फीसदी के घटकर 28 फीसदी तक ही रह गई है.
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