बेंगलुरु की उद्यमी और कंटेंट राइटिंग कंपनी जस्टबर्स्टआउट की सीईओ, अनुराधा तिवारी ने हाल ही में एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट
नई दिल्ली: बेंगलुरु की उद्यमी और कंटेंट राइटिंग कंपनी जस्टबर्स्टआउट की सीईओ, अनुराधा तिवारी ने हाल ही में एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नई बहस छेड़ दी है। इस पोस्ट में उन्होंने अपनी ट्राइसेप्स दिखाते हुए एक तस्वीर साझा की और इसके कैप्शन में लिखा, “ब्राह्मण जीन,” जिसे कई लोगों ने आपत्तिजनक और उत्तेजक माना।
Brahmin genes 💪 pic.twitter.com/MCcRnviJcY
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) August 22, 2024
अनुराधा तिवारी ने एक और पोस्ट के जरिए फिर से हलचल मचा दी। उन्होंने 19 साल की एक ब्राह्मण लड़की की आत्महत्या की खबर शेयर की और लिखा, “एक ब्राह्मण लड़की ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पिता उसकी शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते थे। आरक्षित श्रेणियों के लिए बजट आवंटन लगभग 2.8 लाख करोड़ है। उनके लिए लाखों करोड़, जबकि गरीब ब्राह्मणों और सामान्य श्रेणी को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि हमें एकजुट होकर लड़ना चाहिए!”
A Brahmin girl commits suicide because her father couldn’t afford her education.
Budget allocation for Reserved categories is around 2.8 lakh crores.
Lakhs of crores for them while poor Brahmins and GCs are left to die. This is why we must unite and fight back ! pic.twitter.com/TlxqAi4h8n
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) September 3, 2024
अनुराधा तिवारी ने इस मुद्दे पर आगे बढ़ते हुए लिखा, “एक भी राजनेता ने इस ब्राह्मण लड़की की आत्महत्या के बारे में बात नहीं की है! अगर वह आरक्षित समुदाय से होती, तो वे बहुत हंगामा मचाते। चूंकि वह ब्राह्मण है, इसलिए किसी को कोई परवाह नहीं है – न वामपंथी और न ही दक्षिणपंथी।”
Not a single politician has spoken about this Brahmin girl’s suicide!
If she were from reserved community, they’d be making huge uproar. Since she’s a Brahmin, nobody gives a damn—neither left nor right wing.
Spread this news everywhere so it reaches deaf ears of politicians. https://t.co/YRce1pAYux
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) September 3, 2024
यह पहली बार नहीं है जब अनुराधा तिवारी ने जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाई है। अगस्त 2022 में उन्होंने ट्वीट किया था, “मैं सामान्य श्रेणी की छात्रा हूँ। मेरे पूर्वजों ने मुझे 0.00 एकड़ ज़मीन दी है। मैं किराए के घर में रहती हूँ। मुझे 95% अंक प्राप्त करने के बावजूद प्रवेश नहीं मिल सका, लेकिन मेरे सहपाठी जिसने 60% अंक प्राप्त किए और जो एक संपन्न परिवार से है, उसे प्रवेश मिल गया। और आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे आरक्षण से परेशानी क्यों है?”
I am general category student. My ancestors have passed me down 0.00 acres land. I live in a rented house. I couldn’t get admission despite scoring 95% but my classmate who scored 60% & comes from well off family gets admission. And you ask me why I have problem with reservation?
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) August 18, 2022
सोशल मीडिया पर अनुराधा तिवारी की पोस्ट ने बवाल मचा दिया। कुछ लोगों ने उनकी बात का समर्थन किया और कुछ ने उन्हें “बेशर्म ब्राह्मण” कहा । वहीं, कुछ ने किशोरी को “जातिगत भेदभाव का शिकार” बताया। हालांकि, बहुत से लोगों ने अनुराधा की आलोचना भी की। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “आप आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के बारे में खुद को शिक्षित करने के बजाय हर चीज के लिए एससी और एसटी को दोषी ठहरा रहे हैं।”
एक अन्य यूजर ने पूछा, “अगर वे गरीब हैं, तो क्या वे आरक्षण का लाभ पाने के लिए ईडब्ल्यूएस के लिए पात्र नहीं हैं या वे अध्ययन ऋण नहीं ले सकते हैं, जो कई छात्र अपनी शिक्षा के लिए लेते हैं?” एक और यूजर ने कहा, “क्या आप उसकी आत्महत्या के फैसले को सही ठहरा रही हैं? आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।”
एक और यूजर ने लिखा, “ये लोग आरक्षण के खिलाफ क्यों हैं? सामान्य वर्ग का व्यक्ति होने के नाते मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि जो कुछ भी मैं पाने का हकदार था, वह आरक्षण वाले व्यक्ति ने छीन लिया है। यह उनका अधिकार है। संविधान ने सही कहा है…”
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