नई दिल्ली: विकलांगता कोटे के अंतर्गत प्रोबेशनरी आईएएस पूजा खेडकर के चयन पर उठे सवाल के बीच.तेलंगाना की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल ने अखिल भारतीय सिविल सेवा परिक्षा में विकलांगता कोटे की आवश्यकता पर सवाल उठाकर विवाद खड़ा कर दिया .स्मिता सभरवाल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा दिव्यांगों के प्रति पूरा सम्मान […]
नई दिल्ली: विकलांगता कोटे के अंतर्गत प्रोबेशनरी आईएएस पूजा खेडकर के चयन पर उठे सवाल के बीच.तेलंगाना की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल ने अखिल भारतीय सिविल सेवा परिक्षा में विकलांगता कोटे की आवश्यकता पर सवाल उठाकर विवाद खड़ा कर दिया .स्मिता सभरवाल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा दिव्यांगों के प्रति पूरा सम्मान है .लेकिन क्या कोई एयरलाइन दिव्यांग पायलट को काम पर रखती है? क्या आप दिव्यांग सर्जन पर भरोसा करेंगे। #AIS (IAS/IPS/IFoS) की प्रकृति फील्ड-वर्क होता है इसमें घंटे तक लोगों की शिकायतों को सीधे सुनना होता है .जिसके लिए शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है। इस प्रीमियर सेवा में इस कोटे की आवश्यकता क्यों है!”
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने पोस्ट की आलोचना करते हुए कहा कि यह बहुत ही दयनीय और बहिष्कारपूर्ण दृष्टिकोण है. यह देखना दिलचस्प है कि नौकरशाह किस तरह अपनी सीमित सोच का विशेषाधिकार दिखा रहे हैं। मैंने किसा नौकरशाहों को ईडब्ल्यूएस/नॉन क्रीमी लेयर या दिव्यांगता कोटे के दुरुपयोग की आलोचना करते हुए नहीं देखा है .और न ही आरक्षण को खत्म करने की आलोचना करते देखा है।
वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा,मैं आश्चर्यचकित हुं कि एक आईएएस अधिकारी विकलांगता के बारे में इतना अपरिचित हो सकता है। अधिकतर विकलांगताओं का सहनशक्ति या बुद्धिमत्ता पर उनके विकलांगता को कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन यह ट्वीट दर्शाता है कि ज्ञान की बहुत आवश्यकता है।
IAS स्मिता सभरवाल की पोस्ट पर नेटिज़न्स ने मिले-जुले कमेंट्स किए है एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा कि वह आईएएस की बात से सहमत नहीं है.कई दिव्यांग अधिकारियों ने अपने क्षेत्र में देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है.वहीं एक यूजर ने कमेंट किया कि मुझे एक सीनियर आईएएस अधिकारी से ऐसी असंवेदनशील टिप्पणी की कभी उम्मीद नहीं थी. एक यूजर ने अपने पोस्ट में लिखा कि भारत की 121 करोड़ आबादी में से 2.68 करोड़ व्यक्ति ‘दिव्यांग’ हैं जो कि पुरे आबादी का 2.21% है. आपकी यह टिप्पणी दिव्यांगजनों की क्षमताओं को कमतर आंक रही है.
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