नयी दिल्लीः बिना धूम्रपान किए भी बड़ी उम्र के लोग क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के शिकार हो रहे हैं, जबकि अत्यधिक धूम्रपान करने वाले 45 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह रोग दिखता है। बिना कारणों के रोग बनने से विशेषज्ञ परेशान हैं। बता दें नॉन स्मोकर में सीओपीडी रोग की पहचान […]
नयी दिल्लीः बिना धूम्रपान किए भी बड़ी उम्र के लोग क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के शिकार हो रहे हैं, जबकि अत्यधिक धूम्रपान करने वाले 45 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह रोग दिखता है। बिना कारणों के रोग बनने से विशेषज्ञ परेशान हैं। बता दें नॉन स्मोकर में सीओपीडी रोग की पहचान के लिए एम्स के विशेषज्ञों ने मेटा एनालिसिस किया। इसमें 11 फीसदी बुजुर्ग जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया वह सीओपीडी के रोगी पाए गए, जबकि इस रोग का मुख्य कारण सक्रिय धूम्रपान करना है।
भारत में पिछले 25 साल में सीओपीडी के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके पीछे जांच बढ़ना, नई तकनीक का आना और लोगों के बीच जागरूकता है। लोग लक्षण दिखने के बाद जांच करवा रहे हैं। आंकड़ों को देखें तो पिछले 25 साल में देश में यह दोगुने हो चुके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं में भी इसके मामले तेजी बढ़ रहे हैं। यह ज्यादातर 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में पाया जाता है। कई बार दिक्कत बढ़ जाने पर मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट, वेंटिलेटर पर भर्ती करना पड़ता है।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण का स्तर सीओपीडी रोग दे सकता है, विशेषज्ञ ऐसी आशंका व्यक्त कर रहे हैं। बता दें इसकी पुष्टि के लिए अध्ययन की जरूरत है। एम्स के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. अनंत मोहन का कहना है कि प्रदूषण से सीओपीडी होता है यह तय नहीं है, लेकिन इंकार भी नहीं किया जा सकता। इसकी पहचान के लिए बड़े स्तर पर अध्ययन किया जाएगा।
अध्ययन के बाद ही स्पष्ट होगा कि प्रदूषण के कारण सीओपीडी रोग बनता है या नहीं। वहीं अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रदूषण सीओपीडी दे रहा है तो दिल्ली-एनसीआर के लिए चिंता का विषय है। यहां हर साल करीब तीन से चार माह प्रदूषण का स्तर काफी खराब रहता है। इस दौरान लगभग हर व्यक्ति प्रदूषित क्षेत्र में रहता है।
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