नेहरू मेमोरियल पर सियासत तेज, खड़गे बोले जिनका कोई इतिहास नहीं वो…

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थिर नेहरू मेमोरियल का नाम पीएम मेमोरियल कर दिया गया है जिसपर विपक्ष में नाराज़गी दिखाई दे रही है. ये फैसला नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की बैठक में लिया गया है. नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस की नाराज़गी से अब इस मामले में सियासत तेज […]

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नेहरू मेमोरियल पर सियासत तेज, खड़गे बोले जिनका कोई इतिहास नहीं वो…

Riya Kumari

  • June 16, 2023 4:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थिर नेहरू मेमोरियल का नाम पीएम मेमोरियल कर दिया गया है जिसपर विपक्ष में नाराज़गी दिखाई दे रही है. ये फैसला नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की बैठक में लिया गया है. नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस की नाराज़गी से अब इस मामले में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अब नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने को लेकर भाजपा पर तंज कसा है.

 

क्या बोले खरगे?

 

शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष ने नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने को लेकर ट्वीट किया. इस ट्वीट में खरगे ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वो दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं! कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, Nehru Memorial Museum & Library का नाम बदलने के कुत्सित प्रयास से, आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की शख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता।

मल्लिकार्जुन खरगे आगे लिखते हैं, इससे केवल BJP-RSS की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैये का परिचय मिलता है. मोदी सरकार की बौनी सोच, ‘हिन्द के जवाहर’ का भारत के प्रति विशालकाय योगदान कम नहीं कर सकती !

क्यों बदला गया मेमोरियल का नाम?

दरअसल आज (16 जून) नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक हुई. इस मीटिंग में इसका नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का निर्णय लिया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की. बता दें कि राजनाथ सिंह सोसाइटी का उपाध्यक्ष हैं. बताया जा रहा है कि कार्यकारी परिषद ने राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान को दिखाने के लिए संस्थान का नाम बदलने के फैसला किया है. परिषद का मानना है कि संस्थान का नाम ऐसा होना चाहिए जो वर्तमान गतिविधियों को प्रतिबिंबित करे. इसमें एक नया संग्रहालय भी शामिल है, जो स्वतंत्र भारत की अब तक की लोकतांत्रिक यात्रा को दिखाता है.

 

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