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Political Innings: अब तक कैसी रही शिव की सियासी पारी, डेढ़ दशक बाद क्यों खत्म हुआ राज?

भोपाल: मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद शिव का राज खत्म हो गया है, अब यहां मोहन राज होगा. इसमें मोहन यादव सीएम, जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला उपमुख्यमंत्री होंगे. बीजेपी ने जैसे ही इन नामों का एलान किया तो सीएम के रूप में शिवराज की डेढ़ दशक लंबी सियासी पारी खत्म हो गई. आइए […]

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Political Innings: अब तक कैसी रही शिव की सियासी पारी, डेढ़ दशक बाद क्यों खत्म हुआ राज?
  • December 12, 2023 10:24 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

भोपाल: मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद शिव का राज खत्म हो गया है, अब यहां मोहन राज होगा. इसमें मोहन यादव सीएम, जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला उपमुख्यमंत्री होंगे. बीजेपी ने जैसे ही इन नामों का एलान किया तो सीएम के रूप में शिवराज की डेढ़ दशक लंबी सियासी पारी खत्म हो गई. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

2018 के चुनाव में हार

कुछ जानने के लिए हमें पीछे चलना होगा. 2018 के चुनावों के समय पूरा नियंत्रण सीएम शिवराज सिंह चौहान के हाथों में था. टिकट तय होने में भी चौहान की अहम भूमिका रही. हालांकि परिणाम बीजेपी के अनुरूप नहीं रहे और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई.109 सीटों पर सिमटी बीजेपी की हार का कारण कहीं न कहीं चौहान का चेहरा माना जाने लगा था. हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से बीजेपी फिर सत्ता में लौटी और इस दौरान भी शिवराज की जगह कुछ और नाम आगे बढ़े थे. इन सबको ध्यान में रखते हुए इस चुनाव में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने चुनाव के सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए. और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अमित शाह और केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा गया. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टिकट तय करते समय नई रणनीति अपनाई गई और केंद्रीय मंत्री-सांसदों को मैदान में उतारा गया. इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में केंद्र ने शिवराज को बिलकुल पीछे रखा और मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारने के पीछे यही वजह थी कि प्रदेश के लोगों को नया मुख्यमंत्री मिलने की चर्चा खड़ी हो सके।

बीजेपी का आंतरिक सर्वे

2023 के चुनावों से पहले प्रदेश में बीजेपी ने आंतरिक सर्वे कराया था और इसमें बीजेपी की स्थिति का पता लगाने की कोशिश की गई थी. इस सर्वे में बीजेपी काफी पिछड़ी नजर आ रही थी, इसी वजह से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने काम करना शुरू कर दिया. संघ के साथ समन्वय, बूथ स्तर की बैठकें और महीनों पहले टिकट तय कर दिए ताकि विरोध को साधने के लिए बीजेपी को वक्त मिल सके. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज का नाम मुख्यमंत्री के लिए प्रस्तावित करने से परहेज कर दिया और सभाओं में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जिक्र कम ही किया गया. अंत में बीजेपी के पक्ष में जब नतीजे आए तो बीजेपी ने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मंथन शुरू कर दिया. सर्वे को आधार मानकर शीर्ष नेतृत्व शिवराज का नाम आगे बढ़ाने से कतरा गया।

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति

2024 में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं. वहीं बीजेपी ने विधानसभा चुनावों के माध्य से लोकसभा की तैयारियों और रणनीति को परखा है. 2024 में प्रचंड जीत के लिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व तैयारियां करने में जुट गया है. तीन राज्यों में सत्ता मिलने के बाद इन राज्यों में लोकसभा चुनावों के लिए मजबूत करना चाहती है. वहीं नई रणनीति के तहत बीजेपी ने तीनों राज्य में मुख्यमंत्री के लिए नए चेहरों पर विचार किया. जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए सीएम का नाम उजागर हो गया, जबकि राजस्थान में आज नए सीएम का नाम उजागर किया जाएगा।

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