Police Vacancy In UP Bihar Delhi India: देश भर में पुलिस के 5 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. पुलिस बलों की संख्या उन राज्यों में भी कम हैं जहां पर देश सबसे ज्यादा जरूरत हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ और ओडिशा और झारखंड में भी हजारों की संख्या में पुलिस के पद खाली हैं और इससे देश की राजधानी दिल्ली भी नहीं अछूती हैं. दिल्ली में जरूरत के हिसाब से पुलिस के 11819 पद खाली हैं.
नई दिल्ली. Police Vacancy In UP Bihar Delhi India: देशभर में पुलिस के 5.43 लाख पद खाली हैं जिसमें अकेले यूपी में 1.29 लाख पद खाली हैं. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट इन वैकेंसी इन पुलिस ऑर्गनाईजेशन की रिपोर्ट्स की मानें तो सभी राज्यों को मिलाकर 2018 में 24,84,170 पुलिस बलो की संख्या होनी चाहिए, लेकिन जनवरी 2018 की रिपोर्ट्स की मानें तो सभी राज्यों को मिलाकर पुलिस के सिर्फ 19,41,473 पद ही भरे गए. रिपोर्ट्स की मानें तो सबसे ज्यादा पुलिस के पद उत्तर प्रदेश और बिहार में खाली हैं. दोनों राज्यों को मिला दें तो कुल 1.29 लाख पद खाली हैं. इसी प्रकार वेस्ट बंगाल – 48981, तेलंगाना में 30345 और महाराष्ट्र में पुलिस के कुल 26,195 पद खाली हैं, जबकि भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में पुलिस के कुल 11819 पद खाली हैं, जो कि हरियाणा, झारखंड, केरल, ओडिशा और तेलंगाना राज्य से ज्यादा है.
बिहार राज्य की बात करें तो बिहार में वर्तमान समय में कुल पुलिस बलों की संख्या 77,995 है, जबकि 2018 में बिहार पुलिस की कुल संख्या 1,28,286 होनी चाहिए. वही वेस्ट बंगाल में कुल पुलिस बलों की संख्या 48,981 है, जबकि राज्य में 1,40,904 पुलिस बलों की जरूरत है. इसी तरह अन्य राज्यों में भी पुलिस के पद हजारों की संख्या में खाली हैं, वहीं देश में नागालैंड एक ऐसा राज्य है जहां पर पुलिस बलों की संख्या जरूरत से ज्यादा है.
नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें तो छत्तीसगढ़ में पुलिस के कुल 11,916 पद खाली हैं, वहीं दूसरे नक्सल प्रभावित राज्य ओडिशा में भी पुलिस के कुल 10,322 पद खाली हैं. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट इन वैकेंसी इन पुलिस ऑर्गनाईजेशन की रिपोर्ट्स की मानें तो सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी राज्य सरकारें चेती नहीं हैं, यही कारण है कि अधिकतर राज्यों में पुलिस के कई पद खाली हैं. सुप्रीम कोर्ट कई बार राज्य सरकारों को यह कह चुकी हैं कि राज्य सरकारें अपने यहां खाली पड़ें पुलिस के पदों को भरें, लेकिन फिर भी नतीजा ढाक के तीन पात ही हैं.