नई दिल्ली. सार्वजनिक तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना को समन भेजा है. मांस का कारोबार करने वाले मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में किसी बिजनेसमैन को राहत देने के लिए बिचौलिए से कथित तौर पर घूस लेने के आरोप के बाद सीबीआई ने अस्थाना पर एफआईआर दर्ज की थी.
सोमवार को सीबीआई ने अपने डीएसपी देवेंद्र कुमार को मोइन कुरैशी मामले में चल रही जांच में झूठे रिकॉर्ड बनाने को लेकर गिरफ्तार किया. पहले इस मामले की जांच वही कर रहे थे. सीबीआई ने कहा कि यह केस कुरैशी के मामले में गवाह सतीश सना का मनगढ़ंत बयान बनाने से जुड़ा है. यह पाया गया कि सना उस दिन दिल्ली में मौजूद नहीं था, जहां उसका बयान लिया जाना था.
रविवार को भारत के इतिहास में एेसा पहली बार हुआ कि सीबीआई ने अपने स्पेशल डायरेक्टर पर घूस मामले में एफआईआर दर्ज की. अस्थाना पर सतीश बाबू सना से घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने 15 अक्टूबर को आईपीसी की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7, 13(2), 13 (1) (D) और सेक्शन 7(A) के तहत एफआईआर दर्ज की.
उन्हें इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है. सीबीआई ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धारा 17 के तहत किसी अफसर के खिलाफ जांच करने के लिए सरकार की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है. अस्थाना के अलावा सीबीआई में डीएसपी देवेंद्र कुमार, मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के नाम भी एफआईआर में शामिल हैं.
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