नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में आज आमने-सामने होने की संभावना है. जब दोनों प्रतिद्वंद्वी देशों के नेता – भारत और पाकिस्तान एक के बाद एक, एक ही मंच से संबोधित करेंगे, तो न्यूयॉर्क में एक दुर्लभ दृश्य देखने को मिलेगा. दरअसल पीएम मोदी और इमरान खान दोनों शुक्रवार को 74 वें यूएनजीए सत्र को संबोधित करने वाले हैं. पहले पीएम नरेंद्र मोदी संबोधन करेंगे और उनके तुरंत बाद इमरान खान. इमरान खान के लिए अनुमान लगाया जा रहा है कि वह एक बार फिर से कश्मीर मुद्दे को उठाएंगे, जबकि पीएम मोदी से इस क्षेत्र में शांति और विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे. संभावना है कि अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी आतंकवाद से मुक्ति और विकास पर प्रमुख फोकस रखेंगे.
यूएनजीए की 74 वीं बैठक का विषय गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलवायु कार्रवाई और समावेश के लिए बहुपक्षीय प्रयासों को बढ़ावा देना है. संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपरोक्त विषयों पर अपनी बात रखेंगे. यह माना जा रहा है कि वो जलवायु परिवर्तन, गरीबी, अफगान शांति प्रक्रिया, आतंकवाद और महात्मा गांधी पर बोल सकते हैं. वहीं इमरान खान विश्व के नेताओं के साथ अनिवार्य मुद्दों पर मजबूत कूटनीतिक बातचीत कर रहे हैं जिनमें इस्लामोफोबिया का बढ़ना, कश्मीर का मुद्दा, जलवायु परिवर्तन और पाकिस्तान और मुस्लिम समुदाय का अनुचित रूप से कमजोर होना शामिल है. पाकिस्तान द्वारा यूएनजीए में कश्मीर मुद्दे को उठाने से पहले ही पीएम मोदी की कोशिश होगी कि वे पाकिस्तान को आतंकवाद पोषित देश बताकर आगे बोलने का रास्ता ही न छोड़ें.
दरअसल ये तो पीएम मोदी पहले ही साफ तौर पर कह चुके हैं कि कश्मीर मुद्दा एक आंतरिक मामला है. हो सकता है कि यूएनजीए एक ग्लोबल प्लेटफॉर्म होने के कारण पीएम मोदी इस मुद्दे को ना उठाएं. हालांकि ये भी संभावना है कि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान इस मुद्दे को उठा सकते हैं. ऐसे में पीएम मोदी की रणनीति हो सकती है कि पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति और वहां के हालातों को वैश्विक मंच पर छेड़कर पाकिस्तान की किरकिरी कर दें. पीएम मोदी पहले ही अपने भाषण को इतना स्ट्रॉन्ग रख सकते हैं कि बाद में बोलने आए पाकिस्तानी पीएम जवाब ना दे पाएं.
पीएम मोदी पाकिस्तान की परमाणु बम की धमकी को भी पहले ही फेल कर सकते हैं. पाकिस्तान अकसर युद्ध और परमाणु हमले की धमकी देता है. इस बार संभावना है कि पीएम मोदी अपने संबोधन में पहले ही इसके जवाब में शांती या इसके विपरीत एक युद्ध की सांकेतित धमकी दें. पीएम मोदी पहले ही कई वैश्विक मंच पर साफ कर चुके हैं कि भारत किस तरह आतंकवाद के खिलाफ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कट्टर इस्लामिक आतंकवाद की समस्या को हल करने में सक्षम हैं. अपने संबोधन में एक बार फिर पीएम मोदी ये संकेत दे सकते हैं कि भारत कितनी मजबूती से खड़ा है.
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