PM Narendra Modi Rudrapur Rally: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी उत्तराखंड रैली में कहा कि अटल जी की सरकार ने राफेल विमान खरीदने की शुरुआत की थी. इसी के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ये सच है या लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भी एक मुद्दा बना लिया है.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी उत्तराखंड रैली में राफेल का मुद्दा उठाया. उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी की सरकार ने राफेल विमान खरीदने की शुरुआत की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस 10 सालों तक इस राफेल डील को रोके रही, क्योंकि मलाई नहीं मिल रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हमारी सरकार ने वायुसेना की जरूरत को देखते हुए इस काम को आगे बढ़ाया, अगले कुछ दिनों में राफेल वायुसेना का हिस्सा होगा. इसी के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सच में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान राफेल खरीद की शुरुआत हुई थी?
दरअसल सच ये है कि भारतीय वायु सेना को 1999 के कारगिल युद्ध के बाद अपग्रेड हुए विमानों की जरूरत थी. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. उन्होंने विमानों की खरीद प्रक्रिया को शुरू किया. हालांकि इसमें ये निर्धारित नहीं किया था कि कौन सा विमान खरीदा जाएगा. 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने सत्ता गंवा दी. इसके बाद 126 फाइटर जेट खरीदने का फाइनल प्रोपोजल भारतीय सेना की ओर से 2007 में आया.
अटल जी की सरकार ने राफेल विमान खरीदने की शुरुआत की थी,
लेकिन कांग्रेस 10 सालों तक इसे रोके रही, क्योंकि मलाई नहीं मिल रही थी।
हमारी सरकार ने वायुसेना की जरूरत को देखते हुए इस काम को आगे बढ़ाया, अगले कुछ दिनों में राफेल वायुसेना का हिस्सा होगा: पीएम मोदी #IndiaWithNaMo
— BJP (@BJP4India) March 28, 2019
मनमोहन सिंह की नई सरकार ने इसे अप्रूव कर दिया और टेंडर निकाल दिया गया. बिडिंग के बाद डसॉल्ट एविएशन के राफेल फाइटर पर निर्णय लिया गया. जब तक भारतीय वायु सेना ने राफेल चुना तब तक मनमोहन सिंह की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का आधा सफर तय कर चुकी थी. राफेल डील यूपीए सरकार में साइन नहीं हो पाई. मार्च 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने से पहले डसॉल्ट एविएशन और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच वर्क-शेयर एग्रीमेंट साइन हुआ.
हालांकि मई 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद इस डील को विवाद का सामना करना पड़ा. कुछ महीनों बाद डसॉल्ट एविएशन को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में मजदूर की कीमत ज्यादा लगी. डसॉल्ट एविएशन ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ डील आगे बढ़ाने में नामंजूरी दिखाई. फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे जब जनवरी 2016 में भारत आए तब राफेल डील साइन की गई.